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(३१) शक्ति प्रजु, मुख जोश व्यनी नेट करे.
तेवार पछी गुरु, संघसहित त्रण खमासणां दे इरियावही पमिकमे, तथा चार थोइ कहीने, देव वांदे,जे प्रजुने घरमा थाप्या होय, तेनीज थोश कहे, पछी बेसीने 'नमुत्थुण'श्री मामीने जयवीयरायपर्यंत कहे, तेमां स्तवननी जगोए मोटी शांति कहे.पछी गुरु उना थश्ने, क्षेत्रदेवता आराधनार्थ करेमिकाउस्सग्गं, अनत्थ एक लोगसनो सागरवर गंभीरा सुधि काउसम करीने:यस्याः देत्रं समाश्रित्य, साधुनिः साध्यते क्रिया॥ सा क्षेत्रदेवता नित्यं, भूयान्नः सुखदायिनी ॥१॥ एवी रीतनी थोश कहे. पड़ी आखो नवकार कहीने 'ॐ नुवनदेवीयाए करेमि कानस्सग्गं, अनत्य, लोगसनो सागरवरगंजीरा सुधिनो काउसग्ग करीने, ज्ञानादिगुणयुतानां, नित्यं स्वाध्यायसंयमरतानां ॥ विदधातु जुवनदेवी, शिवं सदा सर्व साधूनां ॥१॥
एवी रीतनी थोर कहेवी.
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