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________________ २७ नवमःसर्गः त्र ग्रहण कयु. सिंहरथनो पुत्र ब्रह्मरथ, तेनो पुत्र चतुर्मुख, तेनो पुत्र हेमरथ, तेनो पुत्र शतरथ, तेनो पुत्र उदयपृथु, तेनो पुत्र वारिरथ, तेनो पुत्र उरथ, तेनो पुत्र श्रादित्यरथ, तेनो पुत्र मांधात, तेनो पुत्र वीरसेन, तेनो पुत्र प्रतिमन्यु, तेनो पुत्र पनबंधु, तेनो पुत्र रविमन्यु, तेनो पुत्र वसंततिलक, तेनो पुत्र कुबेरदत्त, तेनो पुत्र कुंष्क, तेनो पुत्र शरज, तेनो पुत्र सिंहदशन तेनो पुत्र हिरण्यकशिपु, तेनो पुत्र पुंजस्थल, तेनो पुत्र ककुस्थ, तथा तेनो पुत्र रघु एवी रीते केटलाको मोक्षमा तथा केटलाको खर्गमां गया बाद साकेत नामना नगरमां प्रख्यात, अने शत्रुउँने जीतनारो जय नामे राजा थयो. तेणे सघली दिशा जीती, पण पूर्व कर्मना संयोगे तेने एकसोने श्राप जातिना रोगो थया. एवी रीते रोगयुक्त बतां पण ते राजाए पोताना अंतर्वीर्यथी सेंकडोगमे पुःसाध्य राजाउने जीत्या. एवी रीते एक वखते अखंड थाझावालो ते अनुक्रमे त्रणखंड पृथ्वीना मंडनरुप एवा सौराष्ट्र देशमां श्राव्यो. त्यां शत्रुजयपर अत्यंत जावधी प्रजुने नमीने ते दीपपत्तनमा श्राव्यो. एटलामा रत्नसार नामे को धनाढ्य वहाणवटी करीयाणाथी वहाण जरीने समुजप्रते चाल्यो. त्यां सारा पवनथी ते वहाण सुखे समाधे केटलोक समुष उलंगी गयु. पड़ी पर्वतो देखावाची लोको जीवितनी आशाथी श्रानंदीत थया; पण तेटलामां वहाणवासीऊना जीवितने हरनारो अनि खुणामांथी वायु वावा लाग्यो. ते वखते कंथाथी (जीर्ण गोदडीथी) जेम योगीनुं शरीर, तेम वादलाउनासमूहथी दिशाउँनु मुख तथा श्राकाश बवा गयु. वली ते वखते पोताना मित्र मेघने जाणे श्रालिंगन करवाने श्वतो होय नहीं, तेम समुज पोतानां मोजांउरूपी हा. थोथी अत्यंत उबलवा लाग्यो. ते वखते वायुना वंटोलीयाथी वहाण जमवा लाग्यु, थने तेथी जीव सटोसटनो अवसर श्राववाथी रत्नसार वहाणवटी विचारवा लाग्यो के, मारापर श्रा महाकष्ट श्रावी पड्यु!! वली में निर्बुछिए धनना लोनथी था धनेड लोकोने ठगीने वहाणमा बेसाड्या बे. वली श्रा समये था जीवित देनारो मेघ पण मारां पापोथी जारीत थश्ने, वायुराजनी आझामां रही जीवित हरवाने फुमी रह्यो . वली श्रा समये था वहाण पण उबलता दडानी पेठे मोजांउरूपी लाकडी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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