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________________ श@जय मादात्म्य. खरेथी कदेवा लाग्या के, शुद्ध सिद्धांतोने दूषित करनारा एवा था लोकोने धिक्कार ! पूर्वे श्री जरत महाराजे धर्मयुक्त वेदोने बनाव्या हता, ते वेदोने था ग्रासांध लोको दूषित करे . एवी रीतना ते मुनिना वच. नथी क्रोधातुर थएलो ते पुष्ट ब्राह्मण हथियार लेश्ने तेमने मारवाने दोड्यो; पण वचमा उन्ना करेला यज्ञस्तंनमां अथडावाथी तेणे तुरत पोताना अपराधि प्राणोनो त्याग कर्यो. एवी रीते थार्तध्यानथी मृत्यु पामीने ते ब्राह्मणनो जीव ते सिंहोद्यानमां सिंह थयो, एवी रीते मुनिदर्शनना पुण्यथी तेने ते उत्तम तीर्थ मल्यु. हवे ते सिंह त्यां वनवासी प्राणीउने त्रास आपतो थको जमवा लाग्यो; त्यां एक दहाडो तेणे श्री शांतिनाथ प्रजुने जोया, तेथी शीतोपचारथी जेम ज्वर, तथा साम वाक्यथी जेम पुर्जन तेम ते अत्यंत क्रोधातुर थयो; तथा पुंबडांथी पृथ्वीने श्रास्फालन करतो थको, अने क्रोधथी लाल आंखोवालो थयो थको ते पंजो उगामीने प्रजु तरफ दोड्यो. पण सिंहथी जेम हरिण तेम ते प्रनुथी जय पामीने सात धनुष्य दूर हठ्यो. एवी रीते वारंवार प्रजु तरफ दोडतो तथा पाडो हतो थको ते मनमां विचारवा लाग्यो के, मा. री थाडे तो कंई वस्तु श्रावती नथी, अने हुं फाल पण मारी शकतो नधी, माटे खरेखर था शांतशरीरी को असामान्य महात्मा बे; एम विचारतो थको, तथा प्रनु तरफ वारंवार जोतो थको ते पोताना पूर्व जवोने याद करवा लाग्यो. एवी रीते तेने क्रोधथी शांत थएलो जा. णीने प्रजु तेने कहेवा लाग्या; केम के ज्यांसुधि तपेढुं तेल होय, त्यांसुधि तेमां पाणी नाखवाथी ते जयंकर जडको ले उठे . प्रजुए तेने कडं के, हे सिंह ! तुं तारा ब्राह्मणना पूर्व जवने याद कर ? त्यां तेवी रीतना पुष्कार्यथी तुं था तीर्यचरूपे थयो बुं. वली था तीर्थराजनुं समीपपणुं पामीने पण हवे तुं क्रोधातुर थश्ने नरक श्रापनारी हिंसा शामाटे करे जे ? वली ते समये हितोपदेश देनारा मुनिप्रते पण ते जे कोध कयों, तो तने मृत्यु आदिक श्रावं फल जोगवई पड्युं . माटे हवे जीवहिंसा तजीने, तुं दयाने अंगीकार कर ? तथा धर्मने नजतो थको खेद पाम्या विना तीर्थने श्राराध ? एवी रीते धर्मवचनोथी तेने प्रतिबोधिने प्रजु श्रागल चाख्या, त्यारे ते सिंह पण शांत चित्तवालो थयो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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