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________________ अमष्टः सर्गः श्य रता था सर्व रिहंतोथी परिशीलित थपला शत्रुंजय पर्वतप्रते श्रा व्या. त्यां रायणने प्रदक्षिणा देने मुनिर्ज सहित वाणीरुपी पवित्र जलने वर्षता का प्रभु समोसर्या. त्यां ते तीर्थना महान महिमा ने कहीने, तथा तेने प्रदक्षिणा देने प्रभु चंद्रोद्यानमां श्राव्या. त्यां सगर चक्रीए लावेला समुद्रनाकांठापासे ब्राह्मी नदीने तीरे प्रभु समोसर्या. त्यां देवोए समवसरण करवायी लोकोना समूहो त्यां खावीने, तथा प्रभुने नमीने तेमनी पासे बेठा. ते वखते त्यां शशिप्रभा नामनी नगरीनो शशिशेखर नामनो राजा पोतानी चंद्रप्रजा नामनी राणी सहित तुरत - व्यो. पढी चंद्रयशा नामना पुत्र सहित प्रभुने नमिने ते राजा, प्रजुनी वाणीरुपी अमृतनी श्रेणिने पीवा माटे त्यां बेठो त्यारे प्रभु पण कड़ेवा लाग्या के, स्थिर संसारमां श्री शत्रुंजयपर अरिहंत प्रजुनुं जे ध्यान धर, तेज एक सारभूत बे. वली देवोमां जेम जिनेश्वर, ध्यानोमां जेम शुक्लध्यान, तथा व्रतोमां जेम ब्रह्मचर्य व्रत, तेम सर्व तीर्थोंमां श्रा मुख्य तीर्थ डे वली सर्व धर्मोमां चारित्र मुख्य बे, केम के ते विना मुतिरुपी स्त्री प्राणीने वरती नथी. एवी रीतनी प्रभुना मुखनी वाणी सांलीने चंद्रशेखर राजाए राणी सहित चारित्र लीधुं. अ वे ना कायोत्सर्गनी जगोए समुद्र किनारे धरणेंद्रे चंद्रकांत नावा प्रनुं मंदिर वनान्युं पढी प्रभु पण तीर्थप्रते तत्पर था थका रैवताचलादिक शिखरोमां विहार करवा लाग्या. पढी त्यांथी विहार करीने जगतने तीर्थमय करता थका, हज़ार मुनि साथै प्रभु सम्मेतशिखरप्रतेाव्या. त्यां श्रावणवदी सातेमे, चंद्र श्रवण नक्ष मां ते ते प्रभु निष्कंप थया थका रह्या. एवी रीते साडा सात लाख पूर्वनुं श्रायुष्य संपूर्ण करीने प्रभु अनशनमां रह्या थका मोदे गया पछी त्यां सघला इंद्रो प्रजुनो निर्वाणमहोत्सव करीने पोतपोताने स्थानके गया. हवे ते चंद्रशेखर महा मुनि पण विहार करता थका प्रजुना वरपोथी पवित्र थली चंद्रप्रजा नगरीमां गया. त्यां तेमने आवेला जाणीने तेनो पुत्र चंद्रयशा पण वेगयी त्यां पांचसो राजाई सहित श्राव्यो. तथा तेणे चंद्रशेखर मुनिने नमस्कार कर्यो, त्यारे ते मुनि पण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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