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________________ अष्टमःसर्गः तेणे विचार्यु के, अरे ! था चक्रीना मूर्ख पुत्रोए राज्यथी गर्वित थश्ने अमारं युक्तियुक्त वचन पण मान्यु नहीं, माटे धिकार ते गर्वने!! एम विचारि बीजा नागेशो सहित फणो चडावीने, क्रोधथी फुत्कार करतो त्यां ते श्राव्यो. तथा केरनी शिखाउँथी तेणे ते साठ हजार चक्रीना पुत्रोने एकी वखते बाली नांख्या. एवी रीते मोटो दाह निपजावीने ते पालो पोताने स्थानके श्राव्यो, केम के, क्रोध शत्रुना नाशसुधिज होय . हवे तेवी रीतना विनाशश्री वनपातनी पेठे सैन्यमां मोटो हाहाकार थ रह्यो, तथा सर्व को व्याकुल थया. एवीरीते ते वखते देवना विपर्ययथी ते निर्नायक सैन्य सर्व उपायथी नृष्ट थश्ने दिङ्मूढ बनी गयु. (आत्मा दणे दणे जे जे कं, अने कर्म तेथी कंनुं कंकरी थापे बे.) एवी रीते उःखरूपी सर्पना फेरथी ग्रस्त थएला नायक विनाना सैनिको किंचित आंसु लोग्ने विचारवा लाग्या के, श्रापणी दृष्टिएज नागेंजोए था चक्रीना पुत्रोने एकी वखते हण्या, माटे आपणुं बल वृथा . वली राजा पोतानी रक्षामाटे सैन्यने राखे बे, अने ते सैन्य बतां पण था चक्रीपुत्रो मृत्यु पाम्या !! वली श्रापणे हवे नगरमां जश् शरमना मार्या चक्रीने मुख शुं बतावणुं ? वली त्यां जवाथी चक्री पण आपणने नाना प्रकारना उपायोथी मारी नांखशे. माटे हवे तो थापणे पण आपणा आ स्वामीऊनो मार्ग लेवो, (अर्थात् बली मर) केम के उत्तम सेवको स्वामिना मार्गनेज नजे . एम विचारि तेठए घोडा, रथ, हाथी विगेरेनी आसपास बार योजनी काष्टोथी चित्ता खडकी. पड़ी तेजे. जेटलामां बली मरवानी श्वाथी अग्मिने स्पर्श करवा मांडे , तेटलामां ते व्रतांत इंश अवधिज्ञानथी जाण्यो. त्यारे ते दयालु इंड ब्राह्मणनो वेष लेश तुरत त्यां आव्यो, अने तेउने कदेवा लाग्यो के, तमो मरो नहीं? मरो नहीं ? ते धैर्यवालां वचनथी ते सघला सैनिको स्थिर रह्या, त्यारे तेमनी नजदीक जश्ने ने इंब्राह्मण फरीने तेमने कहेवा लाग्यो के, हे ना! तमो को पराजवथी, के कंई कुःखथी, के शोकथी के कंश श्ष्टप्राप्ति माटे वली मरो को ? ते सांजली श्रादरथी ते कहेवा लाग्या के, हे परफुःखथी पुःखी एवा ब्राह्मण ! श्रमारां कुःखनो तुं व्रतांत सांजल? पोतानाज चेष्टितथी लश्मरूप थएला था सगरचक्रीना पुत्रोने तुं जो ? Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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