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________________ १२७ शत्रुजय माहात्म्य. वन, अने सुजीवन नामनां चार मुख्य नरवैद्यो, तथा बीजा साडात्रण लाख नरवैद्यो हता. वली तेमनां जांगल, कृतनाल, विशाल अने विमस नामनां चार मुख्य गजवैद्यो अने बीजा त्रण लाख गजवैद्यो हता. वली तेमनां विश्वरूप, परब्रह्म, हंस अने परमहंस नामनां चार मुख्य पंडितो, अने सात लाख बीजा पंडितो हता. वली तेमनां श्रीकुंठ, वैकुंउ, नृकुटि, अने धुर्जटि नामनां चार मुख्य धनुर्विद्या जाणनाराजे, तथा बीजा पण घणा हता. वली तेमनां ज्योतिषी, धर्मांग जाणनारा, अने दंडनीति जाणनारा पण घणा हता. हवे एक दहाडो जरत राजा हपथी क्रीडा करता थका पोतानां साठ हजार वीरोने संजालवा लाग्या. ते वखते राजपुरुषोए तेमने नामो से बेश्ने देखाड्या, अने जरत राजा पण तेमने आनंद सहित जोवा तथा बोलाववा लाग्या. पनी दिवसे रहेली चंजनी कला सरखी कांति विनानी, तथा हिमयी विष्ट थएली कमलनी सरखी विरूप थएली तथा सेवकोथी देखाडाती सुंदरीने जरत राजाए जोश. त्यारे लाल आंखोथी चित्तमां थएला क्रोधनी रेखाने देखाडता थका नरत राजा कठिन वचनोथी सेवकोने कहेवा लाग्या के, अरे बुच्चा ! शुं अमारा घरमां कंश जोजन श्रादिक खावा मलतुं न. थी? अथवा तमो शुं श्रा सुंदरीनो कंई थादर करता नथी ? वली रुं श्रा कंश खाती नथी ? के आने शुं कंई रोग थयो बे ? अथवा ते ते विद्याने जाणनारा वैद्यो शुं मरी गया ? वली था मदरहित हाथणीनी पेठे म्लान केम थ ? अने था उपरथी खातरी थाय डे के, खरेखर तमोए माझं बीजुं पण नुकशान कयु होशे !!! एवी रीते बोलता ते राजाने ते सेवको नमीने हाथ जोडी कहेवा लाग्या के, हे स्वामी ! श्री जरत महाराजने घेर तो संघली संपदा बे, केम के, इंडने घेर कंइंदरिजपणुं होय ? वली श्रा सुंदरी कुलदेवीनी पेठे श्रमोने हमेशां पूजनीक बे, तेम मृत्युप्रते उपाय करनारा वैद्यो पण घणा जीवता बेग . पण हे खामी! आप ज्यारथी दिग्यात्रामाटे सिधावेला बो, ते दिवसथी श्रा सुंदरी केवल प्राण धारवामाटेज आंबेलो करे .वली ते वखते श्रापे तेणीने प्रजुपासेथी दीक्षा लेती अटकावी हती, तेथी ते था गृहस्थावासमां पण जावसाधवी थश्ने रहेली . पनी जरत महाराजाए सुंदरीने पुब्युं के, तारे दीक्षा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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