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अशाअ
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तुजार
समवसर
भगवान श्री तीर्थंकर देवों की देशना भूमि वानी ८ प्रातिहार्य, १२ पर्षदा, ३ गढ युक्त समवसरण
पशु पक्षी
जार पहा
१)
२)
३)
४)
५)
देवों दाग पुष्पवृष्टि
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देवपुंदुभि
तीन गठ
तीन छत्र
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चांदी का गढ -सोने का कांगरा
सोने का गढ - रत्न का कांगरा
रत्न का गड - DNA का कांगरा
भारो और ४ सीडी - २०,००० पटरी दरवाजा, एक गढ़ में चारो बाबु ४, तीन गढ में कुल १२ दरवाजा
rich 8000/
प्रथम गढ में वाहन
दूसरे गढ़ में तिबंच पशु-पक्षी 1AAA तीसरे गढ़ में - देव मनुष्य - साधु-साध्वी भगवान श्री तीर्थंकर देव, चतुर्मुख
१०) सिंहासन (रलमय) पर बिराजमान तीर्थंकर श्री
20000 पगधाया
डारा
११) १२)
• अशोक वृक्ष
• देवों द्वारा पुष्पवृष्टि
चामर
पुष्पवृष्टि
બાર પર્ષદાની બેસવાની – ઊભા રહેવાની વાત અલગ અલગ ચિત્રથી સમજવી.
दिव्य
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साध्वीजी
जार पर्षहा
'पक्षी
देव छँदा इन *
भगवान के पीछे सूर्य से अधिक तेजस्वी भामंडल बारह पर्षदा :- देव, मनुष्य
• देव - ८ प्रकार - भवनपति देव-देवी
व्यंतर देव-देवी ज्योतिष देव-देवी वैमानिक देव-देवी
मनुष्य ४ प्रकार साधु-साध्वी पुरुष स्त्री १३) पादपीठ: समवसरण जमीन से
वाहनो
10000
पाथी (मीठी) = सवा गाउ पहले से दूसरे गढ में 4000 पगथी, दूसरे से तीसरे गढ़ में 4000 पगथी, कुल टोटल २०००० पगयी = २१/२ गाउ उपर होता है, और सिडी के चार खंमेही जमीन पर टीके होते है !