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सबीज सौभाग्य मुद्रा
अत्रैवांगुष्ठ्यद्वयस्याधः कनिष्ठिकां तदाक्रान्ततृतीयपर्विकां न्यसेदिति सबीजसौभाग्य मुद्रा ।
अर्थ : यह मुद्रा भी सौभाग्यमुद्रा की तरह ही बनायी जाती है विशेष में यह है कि दोनों अंगुष्ठों को नीचे की ओर करके, कनिष्ठिका अंगुली का तृतीयपर्व जो आक्रान्त है उस तृतीयपर्व के स्थान में अंगुष्ठों को रखना सबीज सौभाग्यमुद्रा है । उपयोग : स्त्रीतत्त्वप्रधानसाधना में प्रयुक्त तथा आशंसा के
अनुष्ठान में
प्रयुक्त ।
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