________________
मना श्री अहँ नमो अरिहंताणं, मुना श्री अहँ नमो सिद्धाणं, ममा श्री अहँ नमो आरियाणं, मुमा श्री अहँ नमो उवज्झायाणं, मना श्री अहँ नमो लोए सव्वसाहुणं, मुनी श्री अहँ नमो जिणाणं, नशा श्री अहँ नमो ओहिजिणाणं, मुदा श्री अहँ नमो परमोहि जिणाणं, मला श्री अहँ नमो सव्वोहि जिणाणं, मना श्री अहँ नमो अणंतोहि जिणाणं, मला श्री अहँ नमो केवलि जिणाणं, मुना श्री अहँ नमो भगवओ अरहओ विमलस्स सिज्जउ मे भगवई महई महाविज्जा नमो भगवओ अरिहओ अमले अमले विमले विमले कमलिणी निम्मले सव्वट्ठसिद्ध मला ठः ठः ठः स्वाहा ॥१३॥
मुभा श्रीं अहँ नमो अरिहंताणं, मुनी श्री अहँ नमो सिद्धाणं, मना श्री अर्ह नमो आरियाणं, मा श्री अहँ नमो उवज्झायाणं, मजा श्री अहँ नमो लोए सव्वसाहुणं, अशी श्री अहँ नमो जिणाणं, अशा श्री अहँ नमो ओहिजिणाणं, अशा श्री अहँ नमो परमोहि जिणाणं, मना श्री अहँ नमो सव्वोहि जिणाणं, मुभा श्री अहँ नमो अणंतोहि जिणाणं, मुनी श्री अहँ नमो केवलि जिणाणं, मी श्री अहँ नमो भगवओ अरहओ अणंत जिणस्स सिज्जउ मे भगवई महाविज्जा अनमो भगवओ अरिहओ अणंते केवलनाणे अणंते पज्जवानाणे अणंतेगमे अणंतकेवलदंसणे सव्वट्ठसिद्धे नया ठः ठः ठः स्वाहा ॥१४॥
.१७८ . Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org