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________________ • દ્વાત્રિશિકા પ્રકરણ તથા “નયેલતા' વ્યાખ્યામાં વર્ણવેલા પદાર્થોની યાદી - 141 १६७१, १६७३-१६७६, १६७८-१६७९, १६७२, १६८० १६८२-१६८३, १९१२-१९१५ | सत्य (१) प्रज्ञासंस्कार १३४५-४७ (१) पारमार्थिक सत्य १७४९ (२) निरोधसंस्कार १३४५-४७, १३७५ (२) व्यावहारिक सत्य १७४८ (३) समाधिसंस्कार १३४५-४७ (३) सांवृतिक सत्य १७४८ (४) व्युत्थानसंस्कार १३४५, १६७५ सत्य १४२१ (५) तत्त्वसंस्कार १३४५-४६ सत्यभाषा जुओ भाषा (६) संस्कारशेष १३४८ स्त्यान जुओ योगान्तराय (७) वैराग्यसंस्कार १६७५ सत्सङ्ग (सत्सङ्गति) १३१८, १४५७-१४५८, १४६७(८) जन्मान्तरसंस्कार १४०८ १४६८, १५४७, १५४९, २००६, २१७३ (९) योगसंस्कार १४०७ सदनुष्ठान जुओ अनुष्ठान (१०) भोगसंस्कार १६३७ सदनुष्ठानप्रवर्तनकाल ९९८ संस्कारदोष जुओ संस्कार सदनुष्ठानराग ९२२ संहत्यकारित्व ७६५, ८०१-८०५ सदनुष्ठानलक्षण १५८९, १५९० सकलकथा जुओ कथा (ग्रन्थान्तरगत) -संकीर्णकथा | सदनुबन्ध सकामनिर्जरा जुओ कर्मनिर्जरा सदभिनिवेश जुओ तत्त्वाभिनिवेश सकृदबन्धक १७६, ९३६-९३७, ९३९-९४३, सदाचार ८, ९६४, ९९८-९९९, १००१, ९४६, १२९७-१२९८, १४६३ १०२२, १३०७, १४५६-१४५७, १४६७, सक्रिययोग्यता जुओ योग्यता १४९०, १५०३, १५५७, १८६६, १८९५, सगुणध्यान जुओ ध्यान २०९५ + जुओ पूर्वसेवा सङ्खडि सदायतन जुओ आयतन सङ्ग्रह दान जुओ दान (अनुकम्पादि) | सदाशिव ८८४-८८५, १११६-१११७, १५९४-१५९६, सङ्ग्रहनय जुओ नय (नैगमादि) १७९४-१७९५, २०६३-२०६४ सङ्ग्रहनयसम्मत हिंसा जुओ हिंसा (नयसंबंधी) | सद्धर्मदेशना ७९, ८०, ८५, १३२, १६०७, १६३२, सञ्चय ५, ३९, ६३४-६३५, १३७०-| २०३०-२०३१, २०३३, २०३७, २०५७ १३७१, १८५०, १८९४, १९१४ | सद्योगफल १४५७ सञ्चितकर्म जुओ कर्म (अदृष्ट, भाग्य) सद्योगावञ्चकयोग जुओ योग (अवञ्चक) सत्कार्यवाद ७०९, ७२४, ११७०, २१२५ | सन्तापनकृच्छ्र जुओ -पूर्वसेवा-तप (पूर्वसेवा) सत्त्वशुद्धि जुओ शुद्धि सन्तोष ४८७, ५५६-५५८, १३५२, सत्त्वापत्ति जुओ कर्मयोग (वैदिक) १३७०, १४१२, १४२६, १४४८, १४६९, सत्पदा भूमिका जुओ ज्ञानभूमिका १४७६, १४७९-१४८०, १४८३, १४८४, सत्पुरुष ८३९, ८५५, १२८४, १३१८, १४०२, १४८५, १५१२, १५३९, १५४३, १६५१, १४५६, १५४९, १८६८, १९१३, २१०२ १६६५-१६६७, १८७६ सत्प्रवृत्तिपद १३८२, १६६२-१६६३, १६७०- | सन्तोषफल १४८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only ४६० www.jainelibrary.org
SR No.004938
Book TitleDwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorYashovijay of Jayaghoshsuri
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages478
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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