________________
.वात्रशि14:२९॥ तथा 'नयलता' व्यायामा पविला पार्थोनी याही.
139
(२१) आत्मशुद्धि ६९५
१२७३, १२९७-१२९८, १३९८-१३९९, (२२) साध्यताशुद्धि ३१०
१४५५-१४५६, १४५८, १४६०, १४८७(२३) शकुनशुद्धि ३०८
१४८८, १५१२, १५२०, १५३८-१५३९, (२४) नैश्चयिकशुद्धि १५३२
१५५६-१५५७, १५७१-१५७३, १५९०, (२५) भिक्षाशुद्धि ४०१
१५९७, १६२४, १६५५, १८२०, १८३०, (२६) नयशुद्धि १६०९
१८३६-१८३८ + जुओ श्रद्धा (चारित्रलिंग) शुद्धोञ्छ जुओ उज्छ
श्रद्धा (चारित्रलिंग) जुओ चारित्रलिंग शुद्धोपयोग जुओ उपयोग
श्रद्धा (साकारादि) शुभपरिणाम जुओ परिणाम
(१) साकारश्रद्धा ९७१ शुभाशय १८, १९-२०, ५०, २६८, ३०३-1 (२) निराकारश्रद्धा ९७१
३०४, ३०७, ३०९-३१२, ६२६, ६२९, (३) प्रत्यक्षश्रद्धा ९७१, १४०५ ६९५, ७२०, १२०५
(४) परोक्षश्रद्धा ९७१ शुभेच्छा जुओ कर्मयोग (वैदिक) श्रमण ३६३, ३९७, ३९९, १८३५, १८५१, १८५४, शुभोपयोग जुओ उपयोग
१८७९-१८८३, १८९६, १९३३ शुश्रूषा जुओ सम्यग्दृष्टिलिङ्ग
श्रवण
जुओ गुण (अद्वेषादि) + जुओ तत्त्वशुश्रूषा
४८७ + जुओ गुण (अद्वेषादि) श्रुतज्ञान
जुओ ज्ञान (मत्यादि) शुश्रूषा (परमादि)
श्रुतधर्म
११२, ११४, १६६, ७१७, ९००, (१) परमशुश्रूषा १००८, १४९५
१६४४-१६४५, १८६७ (२) अपरमशुश्रूषा १००९
श्रुतभावनाफल १२३६ शुष्कवाद जुओ वाद
श्रुतमयज्ञान जुओ ज्ञान (श्रुतमयादि) शून्यवाद जुओ वाद
श्रुतविनय जुओ विनय (चतुष्क) शून्यवाददेशना जुओ देशना
श्रुतवृद्ध (ज्ञानवृद्ध) जुओ वृद्ध शून्यवाददेशनाप्रयोजन १५९९
श्रुतव्यवहार जुओ व्यवहार शून्यवादी जुओ वादी
श्रुतसमाधि जुओ समाधि (विनयादि) शृङ्गार
६३७-६३९, ६६३, ६६९-६७०, श्रुतसामायिक जुओ सामायिक ६७८, ६८९
श्रोतृपरीक्षा जुओ परीक्षा शौच
५१८, ५३३, ५५६-५५८, ८४१- | श्रोता ८४२, ८६०-८६१, १४७६, १४७८-१४८३ (१) बाल ७९-८०, ८३, ८७-९०, ९२, शौचपञ्चक १४८२
११५-११७, १२२-१२३, १२५-१२८, १३३ १४८२-८३
(२) मध्यम ८०, ८७-८९, ९२, ११५-११८, श्रद्धा ४३-४४, ३८४, ४१८-४१९, ७१७-७१८, १२२, १२७
७२०-७२२, ८४१-८४४, ८६२, ९३१, ९६८- (३) पण्डित ८६, ८७-८८, ९२, १११, १२८, ९७१, ९९६-९९७, १०७१-१०७३, १२७२- ११४५, १८७७
शौचफल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org