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________________ ८९ बोध 122 • દ્વાત્રિશિકાપ્રકરણ તથા “નયલતા વ્યાખ્યામાં વર્ણવેલા પદાર્થોની યાદી - बिब्बोक ६३८ ब्रह्मकोटिपरमहंस जुओ परिव्राजक-परमहंस बिम्ब ३१३ ब्रह्मचर्य ४८४, ४९८-४९९, ५०२, ५०४, बीजाधान १८, १९, १२३, ३६७, ४३९, | ५१६, ५१८, ५५६-५५८, ६७०, ७५४, ६९२-६९३, १०२७, १०२९, १४९० ७९१, ८६१, ८६६, ९२४, ९४९, ९९२, बुद्धि जुओ बोध १०७६, १०८१, १३०५, १३११, १३८८, बुद्धिगुण ८१८,८१९-८२०,१३०९,१७४४ १३९९, १४२०, १४२२, १४२४, १४२६, बुद्धिपर्यायशब्द जुओ पर्याय-पर्यायशब्द १४३३, १४७८, १५३१, १६२६, १७०२, बुद्धिपरिकर्मणा १२२, १२३, १२७ १८४३-४४, १८७९-१८८०, १८८८, १९२४, बुद्धिमल (नवविध) ११३४ १९२७, २०६१-२०६२ बुद्धिलक्षण ८८, ७०३, ७४७, ७६२, ७७०, | ब्रह्मचर्य (अष्टविध) १४२२ ८१६, १५९३ ब्रह्मचारित्व १४२६ बुद्धिवृत्ति ७६७, ७६९, ७७५-७७६, ७७८.| ब्रह्मतेज। १४८३ ८२१,१३३१,१३३८,१७८५-८६ | ब्रह्मभावना १६०२ ब्रह्मरन्ध्र १५०९, १५१३, १७९७-१७९८, १८०९ बृहत्कथा जुओ कथा (ग्रन्थान्तरगत)-संकीर्णकथा | ब्रह्मव्युत्पत्ति जुओ व्युत्पत्ति ब्रह्माद्वैतदेशना जुओ देशना (१) बुद्धि १५८७-१५९१ ब्रह्माद्वैतवादी जुओ वादी (२) ज्ञान १५८७-१५९१ ब्रह्मार्पण १०९२, १४७८ (३) असंमोह १५८७, १५८८, १५९२-१५९३, ब्राह्मण ४७५-४७६, ४८६-४८८, ५२१-५२२, १०७९१५९६-१५९७ १०८३, १४२१-१४२५, १५८४-१५८५, जुओ गुण (अद्वेषादि) १८७८-१८८०, १९३५-१९३६ बोधराज १५८७ ब्राह्मण (दशविध) १०८२ बोधिदुर्लभ ब्राह्मण (बौद्धदर्शनसम्मत) १०८३-१०८४ बोधिलाभ ब्राह्मण (जैनदर्शनसम्मत) १०८३ बोधिवृद्धि ३०७ ब्राह्मण (वैदिकसम्मत) १०८१-८२ बोधिसत्त्व २२०, २५७, २६१-२६२, २८७, २९१, ब्राह्मणत्व ६२०, १०१२, १०६८, १०७५, १०७९, ४६८, ८४७, १०२०-१०२२, १०२४-१०२५/ १०८१, १०८३, १४२३, १८८२, १८८५ बोधिसत्त्वलक्षण २६१, १०२१-१०२५ भक्ति ४२-४३, ४६, ५९-६०, ३०३, १५२१ बौद्धमान्य मुक्ति जुओ मुक्ति भक्ति (नवविध) ८४३ जुओ भिक्षु भक्तियोग जुओ योग (अवशिष्ट) बौद्धविशेषमान्य मुक्ति जुओ मुक्ति भक्त्यनुष्ठान जुओ अनुष्ठान (प्रीत्यादि) ब्रह्म २५५, २९५, ७२८, ११२४, भक्ष्याऽभक्ष्य ४४७-४५१, ५३८, ५४१ १५७९, १५८०, १५९६, १६२७, १६७०, भगवदवलोकना । १४११, १४१५ १७०१, १८३६ जुओ व्युत्पत्ति बोध १६३ बौद्धभिक्षु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004938
Book TitleDwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 1
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorYashovijay of Jayaghoshsuri
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages478
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size11 MB
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