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________________ अरिष्टनेमि स्वामिनः श्री पादपद्म प्रसादात् अक्षयं चारित्रं ददातु वः ।।२२।। श्रीमत्पार्श्व भट्टारक स्वामिनः श्री पादपद्म प्रासादात्सर्व विघ्न विनाशनमस्तु वः ।। २३ ।। श्री वर्धमान स्वामिनः श्री पाद प्रसादात्सम्यग् दर्शनाद्यष्ट गुण विशिष्टं चास्तु वः ।। २४ ।। श्रीमद् भगवदर्हत्सर्वज्ञ परमेष्ठि- परम पवित्र-शान्ति भट्टारक स्वामिनः श्री पाद पद्म प्रसादात्सद्धर्म श्री बलायुरारोग्यैश्वर्याभि वृद्धि रस्तु । वृषभादयो महति महावीर वर्धमान पर्यन्त परम तीर्थंकर देवाश्चतुर्विंशतिरर्हन्तो भगवन्तः सर्वज्ञाः सर्वदर्शिनः सम्भिन्नतनस्तकाः वीतराग द्वेष मोहास्त्रिलोकनाथा स्त्रिलोकमहिता स्त्रिलोकप्रद्योतनकरा जाति जरा मरण * विप्रमुक्ता सकल भव्य जन समूह कमलवन सम्बोधन कराः । देवाधिदेवाः । अनेक गुणगणशत सहस्त्रालंकृतः दिव्य देहधराः । पंच महा कल्याणाष्ट महा प्रातिहार्य चतुस्त्रिंशदतिशय विशेष सम्प्राप्तः इन्द्र चक्रधर बलदेव वासुदेव प्रभृति दिव्यसमान भव्यवर पुण्डरीक परम पुरुष मुकुटतट निबिड निबद्ध मणिगणकरनिकर वारिधाराऽभिषिक्त वारु चरण कमल * युगलाः । स्वशिष्य परशिष्यवर्गाः प्रसीदन्तु वः । परम माङ्गल्यनामधेयाः । सद्धर्म कार्येष्विहामुत्रं (१२) For Private & Personal Use Only Jain Education International * मैट्रो मै www.jainelibrary.org
SR No.004880
Book TitleBruhad Shanti Mantra tatha Shanti Pooja Mahavidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajchandrasuri
PublisherParmatma Bhaktirasik Trust Palitana
Publication Year2011
Total Pages66
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Ritual, Vidhi, & Rajchandra
File Size3 MB
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