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ए लोको तो कोई रथ उपर बेसीने उतावळा उतावळा आवता हता, कोई घोडा उपर, कोई यान-गाडा उपर, कोई पालखीमां बेसीने आवता हता अने कोई पगे चालीने जलदी जलदी आवता हता. तेमणे पहेरेलो पोशाक घणो सुन्दर-देखावडो हतो. ३
ए लोकोने जोईने राजाए का के एटले पूछ्युं के, नगरना आ लोको पोतानां बीजां बीजां कार्यों छोडीने आ एक मार्गे केम जाय छे ? ४
आजे कोई अमुक नटनी रमत नथी तेमज कोई-खास-देवनो महोत्सव नथी तेम कोई नाटक जोवा वगेरेनुं कौतुक पण देखातुं नथी. ५
___ आ सांभळीने राजानी साथे रहेला लोकोए का के, हे देव ! शुं तमे आ वात जाणता नथी ? अहीं बहारना बगीचामां सूरप्रभ नामना आचार्य पधारेला छे. ६
पृ०३७]जे आचार्य अतीत अने अनागतना तमाम भावोने जाणे छे एटले अतीत अने अनागतनी वस्तुओना के बनावोना संदेह रूप अज्ञानना अन्धकारने दूर करीने तेमणे जगतमां कीर्ति प्राप्त करेल छे अने पोताना सूरप्रभ (एटले सूर्य जेवी प्रभावाळा ) नामने सार्थक करेल छे. ७
जे लोको अनेक जातना रोगोथी घेरायेला छे छतां तेमना चरणकमळनी धूळनो स्पर्श करतां ज तत्काळ कामदेव जेवा सुन्दर शरीरवाळा थई जाय छे. ८
तमाम तीर्थोनी पूजाना न्हवणना पाणीवडे जेम तमाम पाप
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