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केमके ए संपदा तमारी आपत्तिनुं निवारण करीने कृतार्थ थई शकती नथी. ४ __ज्यां सुधी तमारी पासे रहीने ज तमारी सेवा करवामां न आवे त्यां सुधी अमारामां खरेखर प्रभुभक्ति छे एम सकर्ण-डाह्या लोको शी रोते जाणी शके ? ५ ____ आ प्रमाणे इन्द्र भगवानने लांबा वखत सुधी उपसर्ग करनार मनुष्यने दोष दईने अने पोतानी भक्ति पण दोषवाळी छे एम जणावीने सारी रीते दुःखी थइने भगवानने नमी अदृश्य थई गयो. ६ ___पछी विहार करता स्वामी पण गामागर नामना संनिवेशमा पहोंच्या, त्यां बिभेलक नामनो यक्ष रहेतो हतो. तेने पूर्वभवमां सम्यक्त्व थयुं हतुं, प्रतिमा स्वीकारेला भगवानने जोइने तेना मनमां परम प्रमोद थयो अने पारिजातकनी ताजी मंजरीना परिमलथी जेना उपर भमराओ खंचाई आवेला छे एवी ए मंजरीओ वडे तथा उत्तमोत्तम चंदनथी मिश्रित केसर अने हिम-कपूरना विलेपन वडे खूब आदर साथे भगवाननी पूजा करवा लाग्यो.
हवे वळी ए बिभेलक यक्ष पूर्व भवमां कोण हतो? तेनी वात कहेवानी छे.
पृ०३६]मगध देशमा सिरिपुर नामना नगरमां महासेन नामे राजा हतो. तेनी स्त्रीनुं नाम सिरी-श्री. ते सिरोने तमाम ज्ञान विज्ञानमां अने कलाकलापमां कुशळ एवो सुरसेन नामे पुत्र हतो. आ सुरसेन युवान थवा छतां उत्तम रूप सौन्दर्यवाळी स्त्रीओ तरफ आंख मांडतो नथी. तेने परणवा विशे घj घj
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