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प्रास्ताविक आचार्य श्री गुणचन्द्र रचित 'महावीरचरित'ना छट्ठा प्रस्तावन गुजराती भाषान्तर प्राकृत विद्या मण्डल तरफथी प्रकाशित करवामां अमे आनन्दनो अनुभव करीए छीए. आ पहेलां आ ज प्रस्तावनुं प्राकृत मूळ षण अमे प्रकाशित कयु हतुं. आ बन्ने ग्रन्थना प्रकाशनमां श्री धारशीभाई जवेरचन्दभाईनी सहाय लेवामां आवी छे. ते बदल प्राकृत विद्या मण्डल तेमनुं आभारी छे.
प्रस्तुत ग्रन्थ पाट्य होई तेनुं मुद्रण करवामां आव्यु छे जेथी विद्यार्थीओने तेमना अभ्यासमां मददरूप ते थई पडशे एम अमारी आशा छे.
मूळ प्राकृत महावीरचरित संपूर्ण गुजराती अनुवाद आ पहेलां आ० सभा, भावनगर तरफथी छपाइ ज गयो हतो पण ते अत्यारे बजारमा मळतो नथी अने वळी तेनी भाषा पण अटपटी छे. आथी पूज्य पण्डित बेचरदासजी, जेओ आ मण्डळना प्रमुख छे तेमणे अमारी विनति ने मान आपी अतिशीघ्रताथी आ अनुवाद नवेसर करी आप्यो छे, ते बदल विद्यार्थी जगत अने मण्डल तेमनुं ऋणी रहेशे,
मन्त्रीओ प्राकृत विद्या मण्डल
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