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ननुं अनुसरण करीने कांई न बोल्यो. एथी ए चौकीदारो आमने वारंवार पूछवा लाग्या छतां य पण ज्यारे तेओ तरफथी कोई जवाब न मल्यो तो चोकीदारोने खात्री थई गई के जरूर आ बन्ने कोई चर पुरुषो छे. आम धारीने ते बन्नेने कूवाना कांठे लई जवामां आव्या अने वरतथी - दोरडाथी - बांधीने चोकीदारो ते बन्नेने कूवामां नांखवा लाग्या. प्रथम गोशालकने नाख्यो अने तेने गोशालकने - कुवामां उतारीने पछी भगवानने कूवामां बोळवा लाग्या. आ रीते ते चोकीदारो गोशालकने अने भगवानने कुवामां झबोलवा लाग्या एटले घडीकमां तेमने झबोळे अने घडीकमां उपर लावे आ रीते तेमने उन्मज्जन अने निमज्जन करावया लाग्या त्यारे बराबर ते वखते ज सोमा अने जयंती नामनी वे परिवाजिकाओ त्यां आवी पहोंची. ए. बन्ने पहेलां श्री पार्श्वनाथ जिन पासे दीक्षित थईने श्रमणी साध्वी थयेली पण पछी श्रमणीपशुं पाळी न शकवाने लीधे अने श्रमणीदशामां आवता परीषहोथी पराजित थइने एटले आवता परीषहोने सहन न करी शकवाने लीधे पोतानी आजीविका चाले ए माटे परिव्राजिकानो वेश राती हती अने ते बन्ने जेनुं नाम आगळ आवी गयुं छे एवा उत्पल नामना नैमित्तिक- ज्योतिषिकनी बहेनो हती. भगवानने पकड्या छे अने चोकीदारो तेमने बांधीने कूवामां झबोले छे ए वात सांभळीने एमने शंका थई के रखेने दीक्षा स्वीकारेल चरम तीर्थकर भगवान झबोळाता होय. आवी आशंकाने लीधे ए बन्ने कूवा पासे आवी पहोंची अने ते बन्ने परिवजिकओए जोयुं तो खरेखर भगवानने ज कुवामां डुबकी खवराववामां आवता हता. आ जोईने बन्ने बहेनोए पेला
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