SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११ महेनत मजूरी करवामां ते आळसु हतो, बीजी कोई प्रवृत्ति करवानी तेने आवडत न हती, मात्र ते भोजनमां प्रतिबद्ध हतो, पण ए भोजन वगर महेनते सुखे सुखे केम मळे अने पोतानो निभाव बराबर चालतो रहे एनो विचार ए निरन्तर कर्या करतो हतो. एवामां ते मंखलिए चित्रफलक बतावीने गायन गाइने सुखपूर्वक कण भिक्षा मेळवता आमंखने जोयो. एने जोईने मंखलिए विचार कर्यो के अहो ! आनी आवृत्ति विरोध वगरनी छे, आ भंडोळने चोर हरी शकता नथी, आवृत्ति तो कामधेनुनी जेम रोज दूध आपन री छे, पाणी पाया वगर अनाजनी उत्पत्ति समान छे. कोई जातना क्लेश वगरनो महानिधि मल्या जेवी आवृत्ति छे. हवे मने मारा निभावनो उपाय मळी गयो अने ए उत्तम उपाय द्वारा लांबा काळ सुधी जोवन निर्वाह चालतो रहेशे. एटले मारे माटे आ वृत्ति ज निभाव माटे रामबाण उपाय जेवी छे. आम विचारीने ते मंखलि पेलुं चित्रफलक बतावीने गाता फरता मंखनी पासे गयो, तेनी सेवा स्वीकारी, तेनी पासेथी गायनो शीखी लीधां. हवे पोतानी पूर्वभवनी स्त्रीना विरहरूपी वज्रना घाथी हृदय जीर्ण-जर्जरित-थई जवाने लीधे मंत्र मरण पाम्यो. पछी तो पोताने तत्त्ववेत्ता जेवा मानता आ मंखलिए एक बीजुं मोटुं चित्रफलक तैयार कराव्यं अने तेमां मोटा विस्तार साथे चित्रो चितराव्यां. आम नवा चित्रफलकने सरस रीते तैयार करावीने ते पोताने घेर आव्यो. अने पोतानी स्त्रीने खुशखबर आप्या के हे प्रिये ! हवे तो भूखने माथे वज्रना घा पडो - एटले हवे भूख आपणने हेरान करी शके तेम नथी. विहार यात्रा माटे तुं तैयार थई जा. तेणीए कहां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy