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________________ आ तरफ ते समये पुरिमताल नगर अने शकटमुख उद्याननी बच्चे प्रतिमाने स्वीकारीने ध्यानमग्न ऊभेला भगवान महावीरने ईशान इन्द्रे पोताना अवधिज्ञान द्वारा जोया. एटले ते ईशान इन्द्र करोडो देवोना परिवार साथे पांच रंगनां रत्नोथी बनेला विमानमा बेसीने ज्यां भगवंत ऊभा छे त्यां आव्यो. आवीने भगवन्तने त्रण प्रदक्षिणा दईने खुशी थतो वन्दन करवा लाग्यो. चन्दन करीने पोताना बन्ने हाथने एक बीजामा जोडीने भगवंतना चरितने गातो भगवंतना मुख तरफ नजर मांडीने उपासना करतो ऊभो छे. पेलो वग्गुर सेठ पण भगवंतने पडता मेलीने मल्लिजिनना मंदिर तरफ चाल्यो गयो । एने एम जतो जोईने ईशान इन्द्र कहेवा लाग्यो-- हे वग्गुर ! 'दूरना देवोनो साचो-सारो परचो मळे छे' आ लोक प्रसिद्ध कहेवत ते साची पाडी, केमके तुं प्रत्यक्ष एवा आ तीर्थङ्कर भगवंतने पडता मे लीने प्रतिमाने पूजवा जाय छे. तने खबर नथी लागती के, विषम भवना आवर्त-भमरीमा पडता त्रण जगतनो उद्धार करवा समर्थ धीर पुरुष एवा आ खुद भगवंत महावीर पोते जाते ज अहीं ध्यानमा ऊभा छे. पछी आ वात सांभळीने सेठने घणो पस्तावो थयो अने 'मिच्छामि दुक्कड़े' (एटले मारुं दुष्कृत मिथ्या थाओ) एम कहीने भगवंतने त्रण प्रदक्षिणा दईने वंदन करे छे अने भगवंतनो महिमा करे छे. त्यां घणा वखत सुधी शेठे भगवंतनी उपा. सना करी अने ज्यारे पेलो इन्द्र जेवी आव्यो हतो तेवो चाल्यो गयो पछी ते (शेठ) मल्लिजिनना भवनमा गयो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004873
Book TitleMahavira Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherPrakrit Vidya Mandal Ahmedabad
Publication Year1966
Total Pages154
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Story
File Size6 MB
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