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पंचाङ्ग-प्रणिपात - (वमासमणु),
गिनने की
सुत्रोच्चारण योगमुद्रा से
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उत्थापन (स्थापना ऊठानेकी)
स्थापना मुद्रामा
अभुहि ओ खामणेखामेमि
राइयं.
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मुक्ता शुक्ति मुद्रा
जिन- मुद्रा
दोगोटे भूमि पर या बाया मोडा खडा रख पेट पर दो कोणी व अजलि योगमुद्रासे
से
जावंति.जावंत. जय-वीयराय.
कायोत्सर्ग
यान
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