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चक्कायएत्थ
खोम-पड-धवल - पिंडलिय- सच्छहे पुलिण-संठिए पस्सं । सरयज्जिय-गुण-जाए सरट्टहासे ि हंसे ॥२६१ नियय-पओहर - कुंकुम - विचित्त-रूवे य पयइ-आयंबे । पिय-विप्पओग-काए य चकवाए पलोएमि ॥२६२ सोहंति चक्कवाया पोमिणि-पत्तेसु संठिया केइ । कारेणु-कुसुम - नियरे व्व हरिय-मणिकुट्टिमेसु ठिया ॥ २६३ ईसा - रोस - विरहिए सहयरि- संजोग - राय-रत्ते य । घरिणी मणोसिला- पिंजरे पेच्छं ॥२६४ सहयरियाहिं समग्गे पडमिणि - पत्तंतरेसु रममाणे । हरिय-मणि- कोट्टिम-पलोट्ट-रयण-कलसोबम- सिरीए ॥ २६५ तेसु सर-मंडणेसुं रमइ य दिट्टी मणाय मे अहियं । गोरेसु (?) रोयणा - पिंजरे सु चक्कयो तहिं ॥ २६६ दहूण बंधवे विव ते ह चक्कायए तर्हि घरिणि । सरिऊण पुव्व-जाईं सोएणं मुच्छिया पडिया || २६७ पच्चागय- पाण-सत्ति (?) सोय-रुभंत - मज्झ - हियया य । माणस - दुक्ख - पयासं बाहं [बह ] लं पमुच्चंती ॥ २६८ परसामि चेडियं तं रोयंतिं भिसिणि-पत्त-गहिए । उयएण हियय-भागं अंसूणि य मे पपुंछंती ॥२६९ उऊण य तत्तो गया मि परम-सर-सणिहिं घरिणि । नव-नील-पत्त - पडमिणि-निउरुब-निभं कयलि-संडं ॥२७० तत्थ य निम्मल - यण-तलं (ले विव?) सु-सामले सिलावट्टे । सहसा पयट्टियंसू सोय - विवसा (?) निवे सेमि ॥ २७१
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तो भइ चेडिया मं सामिणि किं ते ण सुठु परिजिणं । अहवा परिस्समो ते किंवा केणावि दट्ठा सि ॥ २७२ अंसूणि य मे पुंछइ मुयइ य अंसूणि मज्झ नेहेण । पुच्छइ मुच्छा य इमा केण उवाएण ऊ आसि ॥ २७३ साहहि मे भूयत्थं जाहे कीरइ लहुं पडीयारो । काल-व्वएण मा ते होज सरीर-व्वओ कोइ ॥ २७४ वाहिं दुज्जण-मेति अह पुण (?) महिलियं च दुस्सीलं । उवेक्तो (?) पावइ पच्छा फिर दारुणं पीडं ॥२७५ Tas अणत्थासंगो विणास संगो पमाय - संगो त्ति । सव्वत्थे पसत्थं सुंदरि काले परक्कतं ||२७६ तं न हु पमाइयव्वं पयहत्तु ( ? )... समुट्ठियं दोसं । समए जं नह - छेज्जं परसु-छेज्जं इमं होज्जा ॥२७७ याणि अण्णाणि सुहि-जण-सुलभाणि चेडिया सा मं । सायं वयणाई पच्चा (?) पच्छाणि भाणीया ||२७८
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तरंगलोला
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