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तरंगलाला
भाउज्जाया य महं दर्दु जे निग्गया स-परिवारा । ता वि य वर-जाण-गया अइंति नगरिं मए समयं ।।१२०३ वसणुस्सव-दोस-गुणा गमणागमणं पवेस-निक्खमणं । अहियं पहाण-पुरिसस्स सव्व जण-पायडा होति ।।१२०४
पुण्णाह-सउण-दाहिण-पसत्थ-बह-मंगल-निमित्ता । कोसंबिमइंगया मो देव-दारेण तुंगेण ।।१२८५ आसीय(?) समुह-पंडर-सुगंध-पुष्कोवयार-चिंचइयं । नर-नारि-दसणूसुय-समुवस्थिय रुद्ध-पेरंतं
॥१२०६ उभओ-पास-समुट्ठिय-महंत-पासाय-पंति-सोभतं । रायपहमइगया मो बहु-विपणि-पसाहिय-पएसं ॥१२०७ वाय-परियत्तिएकमुहियं व पंकय-वणं जहा फुल्लं । तह जण-मुह-पउम-वणं च अम्ह-हुत्तं तहिं जायं ॥१२०८ आबद्ध-पंजलि समुज्जओ जणो तत्थ राय-मग्गम्मि । अवयासेइ व कंतं पेम्मुप्फालाहिं दिट्ठीहिं ॥१२०९ दट्ठ न तिप्पति जणो पियं पवासाहि आगयं संतं । घण-संकेय-विमुक्त चंदमिव समुट्ठियं सरए ॥१२१० वद्धावण-आसीसा जणस्स स-बंभणस्स राय-पहे । अंजलि-पाहुडगाणि य न पहुप्पइ गिहिउँ रमणो ॥१२११ बभण-सवण-गुरु-वया ठिएण(?) सीसेण नमइ पंजलिओ। अवयासेइ वयंसे सेसं आभासइ जणं च ॥१२१२
सो एस चक्कवाउ त्ति बेति केई स-विम्हिया पुरिसा । जो सेद्वि-चित्तपट्टे वाहेण हओ मओ लिहिओि ।।१२१३ जा चक्कवाय-जुवती चक्कायं अणुमया तहिं लिहिया । सा गहवइस्स धूया जाया भज्जा य एयस्स ॥१२१४ सत्थ-विहाण-विणिम्मिय-चित्त-पणट्ठा(?) इहं पुणो किह ता। सु-समाहियं जुवलयं देब्वेण अहो इमं सुट्ठ ॥१२१५ सग्घो त्ति केइ लट्ठो त्ति केइ अहो विणीओ त्ति केइ सूरो त्ति । अभिजाओ त्ति य केई बहु-विज्जो सच्चइज्जो(?)त्ति ॥१२१६ सो एव रायमग्गे पसंसिओ पिययमो बहजणेणं । निययं भवण-विमाणं कमेण पत्तो मए समयं ॥१२१७ तत्थब्भट्टिय-परितुटू-परियण-उवणीय-अग्घ-कय-पूओ। कय चुडुली-मंगलओ आसी-वयणे परिच्छंतो ॥१२१८
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