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शाह इन्द्रचंदजी धनराजजी धोका
गाम : आदौनी
शाह इन्द्रमलजी धोकाजी विशे बे बोल जेओ राजस्थानना वतनी हाल आदौनी रहे छे. जे स्वभावे घणाज सरल-भद्रीक-उदार साथे-साथे तत्त्व पिपासु, मानवजीवननी कोइ एक ज एवी पळ बस छे जे शुन्यमांथी सर्जन रुप बनि रहे छे एक वखतना प्रसंग सिद्धाचलजीनी यात्रार्थे ज'...युगादिदेव आदिश्वर प्रभुनी समीपे जवा गिरिराज चडता चडता कच्छ वागडदेशोद्धारक-संयममूर्ति, वचनसिद्धि पू. आ. भ. कनकसूरीश्वरजी म. सा.नो समागम थया. सदगुरूना समागम आत्मविकासना सेापाननी श्रेणी समान छे. गुरु म. प्ररणापामी बारबत पैकी पांचमु परिग्रह परिमाण ब्रतना नियम सिद्धगिरिनी छत्रछायामां श्री गुरु मुखे दृढता पूर्वक ग्रहण को, नियम लीधा अने भाग्ययोगे आर्थिकक्षेत्र संपत्ति परिमाण उपरांत वृद्धि पामी छतां पण ते संपत्तिमां लेशमात्र अनुरा थया वगर मलती संपत्तिना ठेर-ठेर पून्यक्षेत्रौमां सदव्यय करवा लाग्या अने ७६ वर्ष नी उमरे आवी उभेला ते पून्यात्मा हजु पण एवा भावोल्लास पूर्वक धार्मिक क्षेत्रोमां उदार हैये दान आपी पोताना जीवननी सार्थकता साधी रह्या छे. आ प्राचिन सजझायमहादय नामना प्रस्तुत ग्रथमां पण मुख्यदाता बनीने सारा लाभ लीघो छे.
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