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- विध्यर्थ हन्त
अनीय |
भ | तव्य
य
| अन (अनट्
द्योत्य
द्योतन
द्रोह्य
द्रोहण
૧૦૬ द्योतितव्य । द्योतनीय १०७| द्रोग्धव्य द्रोहणीय ૧૦૮ रोचितव्य | रोचनीय १०८ श्रयितव्य श्रयणीय
रोच्य
| रोचन
श्रेय
श्रयण
११०| यतितव्य
। यतनीय
यत्य
यतन
१११| भक्तव्य
भजनीय
भजन
भाज्य भाग्य
११२ | क्षालयितव्य | क्षालनीय
क्षाल्य
क्षालन
११3/शोष्टव्य
शोषणीय
शोष्य | शोषण
११४
तर्पणीय
तृप्य
तर्पण
तप्तव्य त्रप्तव्य तर्पितव्य
११५ ध्यातव्य
ध्यानीय
ध्येय
ध्यान
११६ | कसितव्य
कसनीय
कास्य
कसन
११७| गातव्य
गानीय
गेय
गान।
५०
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