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पादपूर्तिरूपा श्री ऋषभजिन स्तुतिः ।
(द्रुतविलम्बित वृत्तम्) कृतजगजनमङ्गल शर्मणे, त्रिभुवनार्चित पाद सरोरूहे । प्रथभराड्-मुनि-तीर्थकराय ते, भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥१॥
Jain Educatioternational 2010-04-
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