________________
दस महान तीर्थो जेनी घणांओने जाण नथी॥ (१) नवा केसरियाजी : (केसरियाजी तीर्थमां) जूना मोटा केसरियाजी देरासरथी १ फलाँग दूर
पगल्याजी मार्ग ऊपर श्वेताम्बर विधिथी पूजा-स्नात्रपूजा करवानी सगवड। चढावाना अने भंडारना
पैसा देवद्रव्यमां जाय छे. ओली-उपधान कराववानी बधी सगवडो छ । (२) आयड भव्य तीर्थ : (उदयपुरमां हाथी पोलथी १ कि.मी.) तपागच्छनी उत्पत्ति भूमि । पांच
भव्य देरासर/भोजनशाला बनशे । उपाश्रय धर्मशाला छे । (३) ईसवाल तीर्थ : (उदयापुरथी २० कि.मी.) राणकपुर - उदयपुर रोड ऊपर छे। श्री चिंतामणि
आदिनाथ मूलनायक संप्रतिकालीन अति भव्य प्रतिमा छ। भोजनशाला – धर्मशालानी सुंदर व्यवस्था । (४) नागेश्वर तीर्थ : भद्रंकर भगर (जिल्ला - पाली / लूणावा गामथी १ कि.मी.) ९९ ईंचनी भव्य
श्याम ऊभी प्रतिमा । धर्मशाला - भोजनशाला बधी सुंदर सेवा फ्री । मोटी गोशाला पण छे।। (५) आनंदधाम तीर्थ : गाम रमणिया । राणी मुंडारानी वच्चे । भव्य जिनालय । भोजनशाला -
धर्मशाला बधी सगवड। (६) अष्टापद भव्य तीर्थ : (राणी - जिल्ला पाली) राणी स्टेशनथी ०.५ कि.मी. भव्य जिनालय
(रहेवा-जमवानी बधी सगवड)। (७) दयालशा किला तीर्थ : मेवाड शत्रुजय (जिला - राजसमन्द, राजस्थान) टेकरी ऊपर भव्य
चौमुख देरासर / तलेटी, शांतिनाथ, पुंडरीकस्वामी, रायणपगला, गुरुमंदिर वगेरे । भोजनशाला,
धर्मशाला, विशाल ज्ञानभंडार । नवा ट्रस्टमंडलनी सुंदर देख-रेख अने यात्रीओनी सेवा। (८) मांडलगढ तीर्थ : जिला भीलवाडा / श्री केशरीयाजी अने महावीरस्वामी के भव्य देरासर ।
नानी पहाडी ऊपर छे. सागर-सागरी, जूनुं तोपखानुं वगेरे घणुं जोवानुं पण / भोजनशाळा धर्मशाला
बनी रह्यां छे। (९) राजपुर प्राचीन तीर्थ : (जिला उदयपुर, वाया : कानोड) : आदिनाथ प्रभुनी अति विशाल
प्रतिमा । भोजनशाला बनशे। (१०) लूणदा : (जिला - उदयपुर / कानोडथी ६ कि.मी.) केशरियाजीनी श्यामवर्ण भव्य प्रतिमा ।
नदीना कांठे प्राकृतिक सौंदर्यपूर्ण । रावत-राजपूत समाजनी व्यवस्था छ । वैशाख महिने मोटो मेलो भराय छ । हजारो रजपूतो मेलामां आवे छे ।
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org