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________________ प्रापश्री के संसारी पिताश्री और संयमावस्था के साधु, स्वर्गीय शासनसम्राट् प० पू० प्राचार्य महाराजाधिराज श्रीमदविजयनेमिसूरीश्वरजी म० के शिष्यरत्न संयमवयस्थाविर पूज्य मुनिराज श्रीचन्द्रप्रभविजयजी म. संयम की सुन्दर श्राराधना करके स्वर्ग सिधाये हैं। आपश्री के संसारी ज्येष्ठ बन्धु और संयम अवस्था के गुरु स्वर्गीय साहित्य-सम्राट् प० पू प्राचार्यप्रवर श्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वरजी म. सा. के प्रधान पट्टधर-व्याकरणरत्न-शास्त्रविशारद-कविदिवाकर-देशनादक्ष-धर्मप्रभावक पूज्य प्राचार्यप्रवर धीमद्विजयदक्षसूरीश्वरजी म. सा. अनुपम शासन की प्रभावना कर रहे हैं। . प्रभावमा 99 प्रापश्री को-संसारी छोटी बहिन और संयम अवस्था की साध्वी, स्व. शासनसम्राट् समुदाय के प्राज्ञात्तिनी परमविदुषी स्व० पू० साध्वी श्रीप्रभाश्रीजी म० श्री की शिष्या, बालब्रह्मचारिणी-विद्यानुरागिणी-संयमी पू० साध्वी श्रीरवीन्दुप्रभाश्रीजी म० भी संयम की सुन्दर प्राराधना कर रही हैं। आपश्री भी-बालब्रह्मचारी, 46 वर्ष के निर्मल दीक्षा पर्याय वाले, व्याकरण-न्याय-साहित्य-छन्द-कोश-पागम-प्रादि अनेक शाखों के ज्ञाता, प्रशान्त, सौजन्यमूति, प्रतिभाशाली, सञ्चारित्र शील, क्रियापात्र और ज्ञानध्यानादिक में सदा लीन रहते हैं। दिनाङ्क 17-6-1978 मनोजकुमार बाबुलालजी हरण बी. कॉम. सिरोही (मारवाड़)
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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