________________ ( VI ) प्रकाशकीय निवेदन प्रातःस्मरणीय परम पूज्य कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद्हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा० का विरचित 'श्रीअभिधान चिन्तामणि कोष' का आलंबन लेकर समर्थ विद्वान् पूज्यपाद् प्राचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशोलसूरीश्वरजी म. सा० ने विक्रम सं. 2027 को साल में राजस्थान के सुप्रसिद्ध पाली शहर में चातुर्मास सपरिवार रह कर 'सुशीलनाममाला' नाम से समलंकृत एक संस्कृत नूतन कोष की 2048 श्लोक में पूर्णाहुति की थी। यह ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है, इसकी हमको अत्यंत खुशी है। साथ में इस ग्रन्थ पर अनेक पूज्य प्राचार्य महाराजादि मुनि महात्माओं को जन-जनेतर विद्वानों प्रोफेसरों की तथा वकील-डॉक्टर-शिक्षकादि सुज्ञजनों की सम्मतियों भी पृथग् पुस्तिका रूपे यह प्रकाशित करते हुए भी हमारे हर्ष में अभिवृद्धि हुई है। सम्मतियाँ भेजने वाले सभी महानुभावों का तथा द्रव्य सहायक पाली संघ की शेठ नवलचन्द सुप्रतचन्द जैन देव को पेढी का हम सादर बहुमान पूर्वक आभार मानते हैं। धन्यवाद ! र 卐 //