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________________ पू० प्रा० श्रीमद् विजयसुनीलसूरीश्वरजी म. सा.. - कृत अनुवादित पुलिकाएँ 1.. तार्किक शिरोमणि पू० प्रा० श्रीसिद्धसेनदिवाकरसूरीश्वरजी म० सा० कृत . ....... / द्वात्रिंशद द्वात्रिशिका' का मंक्षिप्त भावार्थ . . (1, 2, 3, 4, 5 द्वात्रिंशिका पर्यन्त) 2. याकिनीमहत्तराधर्मसूनु पू० प्रा० श्रीहरिभद्रसूरीश्वरजी म० सा० कृत 'शास्त्रवार्ता समुच्चय' ग्रंथ का भावार्थः / (1, 2, 3 स्तवक पर्यन्त) 3. परमार्हत महाकवि श्रीधनपाल कृत _.. तिसकमजगै' कथा का प्रति संक्षिा भावार्थः (अपूर्ण) 4. कलिकालसर्वज्ञ पू० प्रा० श्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. कृत 'काव्यानुशासन' अन्य का संक्षेपार्थः (प्रथमाध्याय पर्यन्त). 5. न्यायसमुच्चय-न्याय संग्रह अन्य का संक्षिप्तार्थः 6. परमार्हत श्रीकुमारपाल भूपाल विरचित 'प्रात्मनिन्दा-द्वात्रिशिका' का भावार्षः। 7. 'भीगौतमस्वाम्यष्टक' का प्रर्थः। 8. 'भोचत्यवचन-चौवीशी' का भावार्थः / ,
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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