SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ततीयो मर्त्य विभागः ___ 185 * शुल्कनाम * शुल्क' घट्टादिदेयं स्वं, ख्यातं विश्वे हि सर्वदा / 8 धर्माध्यक्षनामानि 8 धर्माधिकरणी' स्याद् वै, धर्माध्यक्ष श्च धार्मिकः // 1182 // के हट्टाध्यक्षनाम * प्रथा ऽधिकमिको' हट्टा-ध्यक्ष श्च कथ्यते पुनः / .. * दण्डनायकनामानि * चतुरङ्गबलाध्यक्षः', सेनानी२ दण्डनायकः // 1183 / / ग्रामेषु भूरिषु गोपौ', कथ्यते जगती जनैः / . स्थायुको' ऽधिकृतो ग्नामे, मन्यते ऽपि महीतले // 1184 // * अन्तःपुराध्यक्ष नामानि 8 अथ चाऽन्तः पुराध्यक्षो', ऽन्तर्वशिका२-ऽऽन्तर्वशिकौ / * * तथाऽन्तर्वेश्मिक: प्रान्त-श्मिकः५ प्रावरोधिक:६ // 1185 // प्रान्तःपुरिक शुद्धान्ता-ध्यक्ष स्तथा ऽवरोधिक: / अन्तःपुराध्यक्षस्यात्र, नामानि नव मन्यते // 1186 // * पारिकर्मिकनाम * पति स्तूपकरणानां, कथ्यते पारिकर्मिकः' /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy