SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वगेरे से प्रभु भक्ति के लीए देव द्रव्य का खर्च कर सकते जिर्णोद्वार मंदिर के समार काम तथा मंदिर संबंधी बांध काम, रक्षा कार्य, साफ सफाई वगेरे के कार्य में खर्च कर सकते हैं। प्रतिमा के उपर तथा मंदिर के उपर आक्रमण या आक्षेप के प्रतिकार तथा वृद्धि टीकाने के लिए खर्च कर सकते हैं। . उपर के तमान कार्यो के लीए उस मंदिर तथा बहार के दुसरे कोई भी मंदिर तथा प्रतिमा के लीए देव द्रव्य दीया जा सकता है। इतना निश्चित रूप से ध्यान में रखना चाहिए कि वह देव द्रव्य श्रावक के कोई भी काम में नहीं वापरा जा सकता यदि पूजारी श्रावक होवे तो उसका पगार भी साधारण खाते में से देना चाहिए। .. - यहाँ एक बात यह भी ध्यान में रहनी चाहिए कि जैनतर पूजारी का पगार भी साधारण में से हि देना चाहिए क्योंकि प्रभु की पूजा अपने उद्धार के लिए अपने को ही करने की है। जब कीसी भी कारण से अपन सारा मंदिर की सार संभाल और प्रत्येक प्रभु की भक्ति नही कर सकते हैं इसलिए ही पूजारी रखा जाता है तो अपनी कमजोरी व मजबुरी के कारण अपने को करने की भक्ति पूजारी द्वारा करवाते हैं
SR No.004477
Book TitleDevdravyadi Vyavastha Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansuri
PublisherParshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust
Publication Year
Total Pages72
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy