________________ पेढालस्तथा सत्यकि-रेते रुद्रा एकादशाऽङ्गधराः // ऋषभाऽजितसुविध्या-द्यष्टजिनश्रीवीरतीर्थभवाः // 339 // जइणं सइवं संखं, वेअंतियनाहिआण बुद्धाणं / वईसेसियाण वि मयं, इमाई सग दरिसणाई कमा // 340 // तिनि उसहस्स तित्थे, जायाई सीअलस्स ते दुन्नि / दरिसणमेगं पास-स्स सत्तमं वीरतित्थंमि // 341 // जैन शैवं साङ्घयं, वेदान्तिकनास्तिकानां बौद्धानाम् // वैशेषिकाणामपिमत-मिमानि सप्त दर्शनानि क्रमात् // 340 // त्रीणि ऋषभस्य तीर्थे, जातानि शीतलस्य ते चोभे // दर्शनमेकं पार्श्व-स्य सप्तमं वीरतीर्थे च // 341 // अत्तरसय सिद्धि, पूया अस्संजयाण हरिवंसो / थीरूवोतित्थयरो, कण्हावरकंकगमणं च // 342 // गब्भवहारुवसग्गा, चमरुप्पाओ अभाविआ परिसा // ससिसूरविमाणागम, अणंतकालिअ दसच्छेरा // 343 // अष्टोत्तरशतसिद्धिः, पूजाऽसंयतीनां हरिवंशः // स्त्रीरूपस्तीर्थकरः, कृष्णाऽपरकङ्कागमनं च // 342 // गर्भापहारोपसर्गा-श्वमरोत्पातोऽभाविता परिषद् // शशिसूर्यविमानागमन-मनंतकाले दशाऽऽश्चर्याणि // 343 // सिरिरिसह सुविहिसीयल, मल्लीनेमीण कालि तित्थे वा // अभविंसु पणच्छेरा, कमेण वीरस्स पंचऽन्ने // 344 // श्रीऋषभसुविधिशीतल-मल्लीनेमीनां काले तीर्थे वा // अभूवन पञ्चाश्चर्याणि, क्रमेण वीरस्य पञ्चान्यानि // 344 //