________________ ( 30 ) अद्वत्तरो सहस्सो, सव्वेसिं लक्खणाइ देहेसु / मइसुअओहि ति नाणा, जाव गिहे पच्छिमभवाओ।१२४॥ अष्टोत्तरं सहस्रं, सर्वेषां लक्षणानि देहेषु / मतिश्रुतावधि ज्ञानत्रयं, यावद् गृहे पश्चिमभवतः // 124 // .. पउमवसुपुज्ज रत्ता, ससिसुविही सेअ नेमिमुणि काला // ___ मल्ली पासोनीला, कणयनिहा सोल सेसजिणा // 125 // पद्मवासुपूज्यौ रक्तौ, शशिसुविधी श्वेतौं नेमिमुनी कालौ / मल्लिपावौं नीलौ, कनकनिभाः षोडश शेषजिनाः // 125 // सव्वसुरा जइ रूवं, अंगुट्ठपमाणयं विउविजा / जिणपायंगुटुं पइ, न सोहए तं जहिंगालो // 126 // गणहरआहारअणु-त्तरा य जाव वणचकिवासुबला / मंडलिया जा हीणा, छठाणगया भवे सेसा // 127 // सर्वसुरा यदि रूप,-मङ्गुष्ठप्रमाणकं विकुर्वेयुः / जिनपादाङ्गुष्ठं प्रति, न शोभते तद्यथाऽङ्गारः // 126 // गणधराऽहारकाऽनु-त्तराश्च यावद्वयन्तरचक्रिवासुबलाः / माण्डलिका यावद् हीनाः, षट्स्थानगता भवेयुः शेषाः / / निवईहिं बला बलिणो, कोडिसिलुक्खेवसत्तिणो हरिणो / तहुगुणवला चक्की, जिणा अपरिमिअबला सव्वे // 128 / /