________________ ( 21 ) सागरकोटाकोट्य-श्चतुनिद्वयकसमद्विचतुःसहस्रोना / वर्षसहस्रैकविशति-रेकविंशतिः क्रमात् षडरकमानम् // 85 // जिनाऽरकाः॥२५॥ जंमाउ इगुणनउई-पक्वनियाउयमियं अरयसेसं / पुरिमंतिमाण नेयं, तेण हिअमिमं तु सेसाणं // 86 // जन्मत एकोननवति-पक्षनिजायुर्मितमर्कशेषम् / प्रथमान्तिमयोज्ञेयं, तेनाऽधिकमिदं तु शेषाणाम् / / 86 // अजियस्स अरयकोडी-लक्खा पन्नास 1 वीस 2 दस 3 एगा 4 / कोडिसहसदस 5 एगो 6, कोडिसयं 7 कोडिदस 8 एगा / / 87 // .. अजितस्यारककोटी-लक्षाःपञ्चाशद्विंशतिर्दशैका। / कोटिसहस्रदशैका, कोटिशतं कोटिदशैका // 87 // बायालसहस्सूणं, इअ नवगे अट्ठगे पुणो इत्तो। पणसहि लक्खचुलसी, सहसहि होइ वरिसाणं // 88 // द्विचत्वारिंशत्सहस्रोन-मितिनवकेऽष्टके पुनरितः / / पञ्चषष्टिलक्षचतुरशिति-सहस्राधिकं भवति वर्षाणाम्॥८८॥ : अयरसयं 1 छायाला 2, सोलस 3 सग 4 तिन्नि 5 पलिअपायतिगं 6 / पलियस्स एगुपाओ 7, वरिसाणं कोडिसहसो य 8 // 89 // . . . . . . ..