________________ शेषश्रुतप्रवृत्त्यन्तर-जिनजीवा रुद्रदर्शनाश्चर्यम् / तीर्थे उत्तमपुरुषाः, सप्ततिशतं भवन्ति जिनस्थानानि // 19 // ति 1 दु 2 इग 3 दुहिअ दस 4 4 य 5, चउदस 6 दुसु गार 7-8 दस 9 चउद्द 10 नव 11 / नव 12 अड 13 बारस 14 नव 15 सग 16, ठाणाइंगाहसोलसगे।॥२०॥ त्रिद्वयेकद्वयधिकादशाऽष्ट च, चतुर्दशद्वयोरेकादशदश चतुर्दशनव / नवाष्टद्वादश नवसप्त-स्थानानि गाथाषोडशके।। // 20 // उसह 1 ससि 2 संति 3 सुव्वय 4, नेमीसर 5 पास 6 वीर 7 सेसाणं 8 / तेर 1 सग 2 बार 3 नव 4 नव 5, दस 6 सगवीसा य.७ तिन्नि भवा 8 // 21 // ऋषभशशिशान्तिसुव्रत-नेमीश्वरपार्श्ववीरशेषाणाम् / त्रयोदशसप्तद्वादशनवनव-दंशसप्तविंशतिश्च त्रयोभवाः // 21 // धन 1 मिहुण 2 सुर 3 महब्बल 4, ललियंग य 5 वयरजंघ 6 मिहुणे य 7 / सोहम्म 8 विज 9 अच्चुअ 10, चक्की 11 सब? 12 उसमे य 13 // 22 // धनमिथुनसुरमहाबल-ललिताङ्गाश्च वज्रजङ्घमिथुने च / सौधर्मवैद्याऽच्युत-चक्रिसर्वार्थऋषभाश्च // 22 // सिरिवंमनिवो 1 सोह-म्मसुरवरो 2 अजियसेणचक्की 3 य / अच्चुअपहु 4 पउमनिवो ५-य वेजयंते 6 य चंदपहो 7 // 23 //