________________ 107 હવે સર્વ નવરા છવાસ્થપણામાં કાળનું માન . मूलम-वाससहस्सं 1 बारस 2 चउदस 3 अठार 4 वीस 5 वरिसाइं / मासा छ 6 नव 7 तिनि अ 8, चउ 9 तिग 10 दुग 11 मिक्कग 12 दुगं च // 172 / / ति 14 दु 15 इक्कग 16 सोलसगं 17, वासा तिन्नि अ 18 तहेव होरत्तं 19 / मासेक्कारस 20 नवगं 21, चउपन्न दिणाइ 22 चुलसीई 23 // 173 // पक्खहियस बारस 24. वासा छउमत्यकालपरिमाणं / उग्गं च तवोकम्म, विसेसओ बद्ध माणस्स // 174 // . छाया-वर्षसहस्रं द्वादश चतुर्दशाष्टादशविंशतिवर्षाणि / मासाः षण्णवत्रयश्च, चतुस्त्रिकद्विकमेकद्विकंच // 172 // त्रिद्वयेकानिषोडश-वर्षाणि त्रीणि च तथैवाहोरात्रम् / मासैकादशनवकं, चतुष्पञ्चाशदिनान्यशीतिः // 17 // पक्षाधिकसार्द्धद्वादश, वर्षाणिच्छद्मस्थकालपरिमाणम् / उग्रं च तपः कर्म, विशेषतो वर्द्धमानस्य // 174 // ભાવાર્થ—ઋષભદેવ ભગવાનને એક હજાર વર્ષ છઘસ્થપણાને કાળ જાણ (1) શ્રી અજીતનાથને બાર વર્ષ सुधी // 4 // (2) श्री स नाथन यो वर्ष (3) श्री अमिનંદનને અઢાર વર્ષ (4) શ્રી સુમતિનાથને વીસ વર્ષ (5) पनि स्वाभीना (1) भास, सुपाश्वनाथन नव [6) भास.