________________ . 75 जो कारवेइ पडिमं जिणाण, जिअरागदोसमोहाणं / सो पावइ अन्नभवे, सुहजम्मं धम्मवररयणं / / 781 // दारिदं दोहग्ग, कुजाइकुसरीरकुमइकुगईओ / अवमाणरोगसोगा, न हुति जिणबिंबकारीण // 782 // एसो मंगलनिलओ, भवविलओ सव्वस तिजणओ अ / नवकारपरममतो, चिंतिअमित्तो सुहौं देइ / / 783 // अध्पूठ्यो कप्पतरू, एसो चिंतामणी अपुव्यो अ / जो झायइ सयकालं, सो पावइ सिवसुहं विउलं // 784 // नवकारइक्कअक्खर, पावं फेडेइ सत्त अयराणं / . पन्नासं च पएणं, पंचसयाइ समग्गेणं // 785 / / अट्ठेव य अठसया, अट्ठसहस्सं च अट्ठकोडीओ / जो गुणइ भत्तिजुत्तो, सो पावइ सासयं ठाणं // 786 / / अरिहंतो असमंत्थो, तारणे लोआण दीहसंसारे / मग्गादेसणकुसलो, तरंति जे मग्गिलग्गति / / 787 / / जो पढइ अपुव्वं, सो लहेइ तित्थयरत्तमन्नभवे / जो पुण पढावइ परं, सम्मसुअं तस्स किं भणिमो // 788 // धन्नो सो जिअलोए, गुरवो निवसंति जस्स हिअयंमि / धन्नाणवि सो धन्नो, गुरुण हिअए वसइ जो उ // 789 // हरिऊण य परदव्वं, पूअं जो करइ जिणवरिंदाणं / दहिऊण चंदणतलं, कुणइ अंगारवाणिज्जं // 790 // दाणेण विणा न साहू, न हुति साहहिं विरहिअं तित्थं / दाणं दितेण तओ, तित्थुद्धारो कओ होइ // 791 //