________________ कणयंपि जो कलित्ता, कसच्छेउ ताविऊण तं लेइ / छिज्जा न परिक्खन्नू , एवं धम्मेवि जो कुसलो // 736 // दीसंति दाणि सुहडा, अइविउसा केवि केवि रूवीवि / परमत्थवत्थुगहणिक, लालसा केवि दीसंति // 737 / / बावत्तरिकलाकुसला, कसणाए कणयरययरयणाणं / चुकंति धम्मकसणा, तेसिंवि धम्मुत्तिदुन्नेउ / / 738 // ते धन्ना कयपुण्णा, जीवा तेलुकभवसमुदंमि / जे धम्मबोहिरयणं, लहंति सिवसंपयनिहाणं // 739 // धम्मेण होइ राया, चक्कहरो नवनिहीसरो गुरुओ / चउदसरयणाहिबई, भारहछक्खंडभत्तारो // 740 // बलदेव वासुदेव-तणाइ खयरत्तणाइँ पार्वति / काऊण तवयिसेसं, हुंति सुरिंदावि धम्मेणं // 741 // धम्मेण असुरवंतर-जोइसवेमाणिअत्तणाइपि / लब्भंति इच्छिआई सुक्खाइ जाइँ तेलुक्के // 742 // मणिमंतोसहिविज्जाउ, जाउ सिझंति ताउ धम्मेणं / देवा कुणंति आणं, अपरिहवो होइ धम्मेणं // 743 // अरोग रुव धण सयण, संपया देहमाऊ सोहग्गं / सग्गापवग्गगमणं, होइ सुविन्नेण धम्मेण // 744 // जत्थ न जरा न मच्चू, न वाहिणो नेव सव्वदुक्खाई। सय सुत्थमेव जीवो, वसइ तहिं सव्वकालंमि // 745 / / सम्मत्तसाररहिया, जाणता बहुविहाइ सत्थाइ / अरयव्य तुंबलग्गा, भमंति संसारकंतारे // 746 //