________________ अच्तविवज्जासियमइणो परमत्थदुक्खरुवेसु / संसारसुहलवेसु मा कुणह खणं पि पडिबंधं // 650 // किं सुमिणदिट्ठपरमत्थसुन्नवत्थुस्स करह पडिबंधं / सव्वं पि खणियमेयं विहडिस्सइ पेच्छमाणाण // 651 // संतमि जिणुदिठे कम्मक्खयकारणे उवायंमि / अप्पायमि न किं तद्दिठभया समुज्जेह // 652 // जह रोगी कोइ नरो अइदुसहवाहिवेयणादुहिओ / तदुहनिम्विन्नमणो रोगहरं वेज्जमन्निसइ // 653 / / तो पडिवज्जइ किरिय सुवेज्जभणियं विवज्जइ अपच्छं / तुच्छन्नपच्छभोई ईसी सुवसंतवाहिदुहो / / 654 // ववगयरोगायंको संपत्ताऽऽरोग्गसोक्खसंतुट्ठो / बहु मन्नेइ सुवेज्ज अहिणं देइ वेज़्जकिरियं च // 655 // तह कम्मवाहिगहिओ जम्मणमरणाउइन्नवहुदुक्खो / तत्तो निम्विन्नमणो परमगुरुं तयणु अन्निसइ // 656 // लद्धमि गुरुंमि तओ तव्ययणविसेसकयअणुठाणो / पडिवज्जइ पव्वज्जं पमायपरिवज्जणविसुद्धं / / 657 // नाणाविहतवनिरओ सुविसुद्धासारभिक्खभोई य / सव्वत्थ अप्पडिबद्धो सयणाइसु मुक्कवामोहो // 658 // एमाइ गुरुवइट्ठ अणुट्ठमाणो विसुद्धमुणिकिरियं / मुच्चइ निस्संदिद्धं चिरसंचियकम्मवाहीहिं // 659 / /