________________ 48 रत्ता पिच्छंति गुणे, दोसे पिच्छंति जे विरुंधन्ति / मज्झत्थच्चिय पुरिसा, दोसे अ गुणे अ पिच्छन्ति // 485 // विमलम्मि दप्पणे जह, पडिबिंबइ पासवत्तिवत्थुगणो / मज्झत्थम्मि तहा नणु, संकमइ समग्गंधम्मगुणो // 496 // वंदिज्जमाणा न समुक्कसन्ति, हीलिज्जमाणा न समुज्जलन्ति / दंतेण चित्तेण चरन्ति धीरा, मुणी समुद्धाइअरागदोसा // 487 / / अक्कसुरहीण खीरं, कक्कररयणाई पत्थरा दोवि / एरण्डकप्पतरुणो, रुक्खा पुण अंतरं गरुअं // 488 // वायससाणखराई, निवारिया वि हु हवंति असुइरई / हंसकरिसिंहपमुहा, न कयावि पणुल्लियावि पुणो // 489 // सेविज्जइ सीहगुहा, पाविज्जइ मुत्तिया व गजदंतो / जंबुअघरे लब्भइ, खुरखंडं चम्मखंडं वा // 490 // बझंति मुक्खविहगा, नेहविहीणेण बज्जदाणेणं / छेआण बंधणं पुण, नण्णं सम्भावभणियाओ // 491 // लवणसमो नत्थि रसो; विन्नाणसमो बंधवो नत्थि / धम्मसमो नत्थि निही, कोहसमो वईरिओ नत्थि / / 492 / / को चक्कवट्टिरिद्धि, चइउंदासत्तणं समहिलसइ / को वररयणाई मोत्तुं, परिगिण्हइ उवलखण्डाइ // 493 // रतिधा दीहंधा, जायंधा मायमाणकोवंधा / कामंधा लोहंधा, ईमे कमेणं विसेसंधा // 494 // आरोग्गसारअं माणुसत्तणं सच्चसारओ धम्मो। विज्जा निच्छअसारा, सुहाइ सताससारा // 495 //