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________________ 313 972 612 सीलं वरं कुलाओ " ., , सीलं कुलआहरणं. सोलं न हु खंडिज्जइ सीले चिय महिलाणं सीले खाइय भावे . सीयंति सम्वसत्थाइ / सुअसायरो सुच्चिय सुहडो सुहुवि भुत्ता भोगा सुयण समागम सुवण्णरुप्पस्स सुचिरंपि सुकुमालियाइ 631 584 694 443 246 469 162 | सोयंताणं पि सो को वि नत्थि, 165 सोचा ते जिय लोए 234 | सोच्चिय कज्ज। 158 | सो जयउ / 984 | सो दाया सो सोदासनाम निवई. सो नत्थित्थ. सोलसवरिसो सो संति जे सोहग्गाइ गुणा सो हु तवो कायव्वो हत्थपायपडिच्छिन्नं. 585 हंतूण परप्पाणे .. हयं नाणं कियाहीणं 857 हरिऊण य .. हरिणो सद्दे हरिहरचउराणण. 885 हा माया हा बप्पो 766 हारो भारो रसगाइ हा विसमो. संसारो 944 हा हा तइया मूढो हा हा हा 897 598 हिययंमि निठुराओ 21 ही संसार सहावा होइबले वि य जीयं ___919 166 259 599 954 790 595 956 141 668 156 सुत्ते अत्ये भोयग - : सुबहुं पि हु ., , सुअमहिअं सुमइस्स सुलहो सुहदुल्ललिअण सुहसीलाओ . सूइहिं . ..सहहिं अगि सूरिअकंतब .. सेला चलंति पलये 698 . 699 540 317 सेविज्जइ 983 490 सोचा ते
SR No.004473
Book TitlePaia Subhasiya Sangaho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyadarshanvijay
PublisherPadmavijay Ganivar Jain Granthmala
Publication Year1987
Total Pages124
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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