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________________ . 476 "फस न भणसि 'फासगदिएण जे बज्झंति मुक्खविहगा बत्तीसगुल बंधवा सुयणाबंधू वि होइ परो बहुकुडकवड 640 323 971 260 ...563 बहुभवकोडिविरइय बहुमन्नइ बहुमंततंत बलदेववासुदेव बहुकवडचाडु बहुसो नरय बावत्तरिकला 22 | भदएणेव होयव्वं 550 | भत्तिभरनिन्भरंगो 491 भमिऊण भवग्गहणे 927 भयरोगसोग ... भवगिहमज्झम्मि 702 भवजलहितरीतुल्लं 78 भवणवईणं. 602 भवणं जिणस्स 980 भवसयसहस्समहणो 840 भारक्खमे वि 731 भावो भवुदहितरणी 741 भीमंमि मरणकाले 275 भीसणभावडवीए भुयगोव्व 738 भूए अणोइकाले 231 भूएसु जंगमतं 1002 भूसणरहिया वि 439 भूजइ भूजाविज्जइ 879 मग्गाणुसारिपयाहिण 999 मच्चुकरहेण 914 मच्छपयं जलमझे मज्जं विसयकसाया मज्जे महुंमि 423 मण परमोहि 543 मणवावारो 966 / मणिमंतोसहि .979 470 339 225 683 349 896 981 164 707 बालस्स पस्स बालस्स मायमरणं बारसहिं जोयणेहिं बास्तविहंमि विन बावीसं बायर बीभच्छकुच्छ बुद्धि अचंड बुद्धिए पवंचेण बेइंदिय तेइंदिय भक्खेह जो उवेक्खेइ 924 674 108 386/505 962 852 or m
SR No.004473
Book TitlePaia Subhasiya Sangaho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyadarshanvijay
PublisherPadmavijay Ganivar Jain Granthmala
Publication Year1987
Total Pages124
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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