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________________ . G. __me>>>> o 430 जइ विसइ विसम विवरे जइ विहु दिवसेण जणणी जायइ जाया जणणी य जम्मभूमी जणणी जम्मुप्पत्ती जत्थ य विसय जत्थ साहम्मिआ. जत्थ न जरा जमालि तीसगुत्तो जम्मदुक्खं जरा जम्मजर मच्चू जम्म जरा मरण 732 926 464 179 / जस्सत्यो तस्स 819 जस्समयस्सेगयरो 206 जह आगइत्ति जह अग्गिइ लवो 816 जह एकमि तरुवरे जह कमलेव्व महुयरो 523 जह कप्परुक्ख जह. कागिणीए जह कारणं तु तंतू जह घरघरट्ट चिंता जह तरुवरम्मि जह नइमहुरसलिलं जह धन्नाणं पुहइ जह रोगी कोइ जह वा एसो 'जह वा लुणाइ सासाइ जह विसमीसं सस्संपि जह सववाहि जह संझाए सउणाण 988 जह होति गुणा 401 जहा कुक्कुडपोयस्स 1004 जहा खरो चंदण | जहा मसागिंधण 544 / जहा लाहो तहा लोहो | जहा सागडिओ जाणं 534 / बहेह सीहो व w2 mY o sa ma w wo a va w or a &v v4 0 0 24, जम्मंतरं न गरुयं जम्मंतीए सोगो ... 653 646 जह س 309 س 106 س 689 132 264 जम्मं नाणं दिक्खा जम्मे जम्मे जग्मो कलिंग देसे जम्हा सण नाणा जयणा य धम्मजणणी जयसिरिवंछिय . जसलवतरलं जीयं जलयरमज्झ जलहि विसंघडिएण वि जस्स खलु 772 424 378 1000 312
SR No.004473
Book TitlePaia Subhasiya Sangaho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyadarshanvijay
PublisherPadmavijay Ganivar Jain Granthmala
Publication Year1987
Total Pages124
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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