________________ श्रुतरत्नरत्नाकरे इयरिद्धिसंजुयाणवि अमराणं नियसमिद्धिमासज्ज / पररिद्धिं अहियं पेच्छिऊण झिज्जंति अंगाई // 383 // उन्नयपीणपयोहरनीलुप्पलनयणचंदवयणाई / अन्नस्स कलत्ताणि य दळूण वियंभइ विसाओ // 384 // एगगुरुणो सगासे तवमणुचिन्नं मए इमेणावि। हद्धि मज्झ पमाओ फलिओ एयस्स अपमाओ // 385 // इय झूरिऊण बहुयं कोइ सुरो अह महिड्ढियसुरस्स / भज्जं रयणाणि व अवहरिऊण मूढो पलाएइ // 386 / / तत्तो वजेण सिम्मि ताडिओ विलवमाणओ दीणो। उक्कोसेणं वियणं अणुर्भुजइ जाव छम्मासं // 387 // ईसाएँ दुही अन्नो अन्नो वेरियणकोवसंतत्तो। , अन्नो मच्छरदुहिओ नियडीए विडंबिओ अन्नो // 388 // अन्नो लुद्धो गिद्धो य मुच्छिओ रयणदारभवणेसु / अभिओगजणियपेसत्तणेण अइदुक्खिओ अन्नो // 389 / / पज्जंते उण झीणम्मि आउए निव्वडंततणुकंपे / तेयम्मि हीयमाणे जायते तह विवज्जासे // 390 // आणं विलुपमाणे अणायरे सयलपरियरजणम्मि / तं रिद्धिं पुरओ पुण दारिद्दभरं नियंताणं // 391 // रयणमयपुत्तियाओ व सुवन्नकंतीओ सत्य भज्जाओ। पुरओ उण काणं कुज्जियं च असुइं च बीभत्थं // 392 // सत्यविय दुव्विणीयं किलेसलंभ पियं मुणताणं / .. नत्थि मणिच्छियआहार विसयवत्थाइ सुहियाणं // 393 //