________________ 141 भवभावना (8) ताइं पुण भवणाई बाहिं वट्टाई होति सयलाई / अंतो चउरंसाइं उप्पलकन्नियनिभा हेट्ठा // 328 // सव्वरयणामयाई अट्टालयभूसिएहिं तुंगेहिं / जंतसयसोहिएहिं पायारेहिं व गूढाई // 329 // गंभीरखाइया परिगयाइं किंकरगणेहिं गुत्ताई। दिप्पंतरयणभासुर निविट्ठ गोउरकवाडाइं // 330 // दारपडिदारतोरणचंदणकलसेहिं भूसियाइं च / रयणविणिम्मियपुत्तलियखंभसयणासणेहिं च // 331 // फलिहाइ रयणरासीहिं दिप्पमाणाहिं सोमकंताहिं / सव्वत्थ विइन्नदसद्दवन्नवन्न कुसुमोवयाराइं // 332 // बहुसुरहिदव्वमीसियसुयंध गोसीसरसनिसित्ताइ / हरियंदणबहलथक्कदिन्नपंचंगुलितलाई // 333 // डझंतदिव्वकुंदुरूक्ककिण्हागरुमघमघंतगंधाई / वरगंधवट्टिभूयाई सयलकामत्थ कलियाई // 334 // पुक्खरिणीसयसोहिय उववणउज्जाणरम्मंदेसेसु / सकलत्तागरनच्चिवरविहियकीलासहस्साइं // 335 // ठाणाठाणारंभियगेयझुणिदिन्नसवणसोक्खाई। वज्जंतवेणुवीणामुइंगखजणियहरिसाइं // 336 // हरिसुत्तालपणच्चिरवलयविहूसियवरच्छरसयाइं / निच्चं पमुइयसुरगणसंताडियदुंदुहिखाई // 337 // दसदिसिविणिग्गयामलसमहिय एरण दुरवलोयाई / बहुपुन्नपावणिज्जाइं पुन्नजणसेवियाइं च // 338 / /