________________ श्रुत रत्नरत्नाकर mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm अंबे अंबरिसी चेव, सामे य सबलेत्तिय / रूद्दोवरुद्द काले य, महाकालेत्ति आवरे // 97 // असि पत्तेधणू कुंभे, वालू वेयरणित्ति य / खरस्सरे महाघोसे, पनरस परमाहम्मिया // 98 // एए य निरयपाला धावंति समंतओ य कलयलंता / / रे रे तुरियं मारह छिंदह भिंदह इमं पावं // 99 // . इय जंपंता बावल्लभल्लिसेल्लेहिं खग्गकुंतेहिं / . नीहरमाणं विंधंति तह य छिंदति निक्करुणा // 10 // निवडतोऽवि हु कोइवि पढमं खिप्पइ महंतसूलाए / अप्फालिज्जइ अन्नो वज्जसिला कंटयसमूहे // 101 // अन्नो वज्जग्गिचियासु खिप्पए विरस मारसंतोऽवि / अंबाईणऽसुराणं एत्तो साहेमि वावारं / / 102 // आराइएहिं विंधति मोग्गराईहिं तह निसुंभंति / धाडंति अंबरयले मुंचंति य नारए अंबा // 103 // निहए य तह निसन्ने ओहयचित्ते विचित्तखंडेहिं / कप्पंति कप्पणीहिं अंबरिसी तत्थ नेरतिए // 104 // साडण पाडण तोत्तयविंधण तह रजतलपहारेहिं / सामा नेरतिताणं कुणंति तिव्वाओ वियणाओ // 105 // सबला नेरयियाणं उयराओ तह य हिययमझाओ। कड्डति अंतवसमंसफिप्फिए छेदिउं बहुसो // 106 // छिंदति असीहिं तिसूलसूलसुइसत्तिकुंततुमरेसु। पोयंति चियासु दहंति निद्दयं नारए रुद्दा // 107 //