________________ असणाइचउक्कं वत्थपत्तकंबलयपायपुंछणए / निवपिंडम्मि न कप्पति पुरिमअंतिमजिणजईणं // 655 // पुरिमेयरतित्थकराण मासकप्पो ठिओ विणिद्दिट्ठो। मज्झिमगाण जिणाणं अट्ठियओ एस विण्णेओ.. // 656 // पज्जोसवणाकप्पो एवं पुरिमेयराइभेएणं। उक्कोसेयरभेओ सो नवरं होइ विन्नेओ // 657 // चाउम्मासुक्कोसो सत्तरि राइंदिया जहन्नो उ। थेराण जिणाणं पुण नियमा उक्कोसओ चेव // 658 // भत्ती मंगलचेइय निस्सकड अनिस्सकडचेइयं वा वि।। सासयचेइय पंचममुवइटुं जिणवरिंदेहि / // 659 // गिहि जिणपडिमाए भत्तिचेइयं उत्तरंगघडियम्मि। जिणबिंबे मंगलचेइयं ति समयन्नुणो बिति ... // 660 // निस्सकडं जं गच्छस्स संतिय तदियरं अनिस्सकडं। सिद्धाययणं च इमं चेइयपणगं विणिद्दिटुं // 661 // नीयाई सुरलोए भत्तिकयाइं च भरहमाईहिं / निस्सानिस्सकयाइं मंगलकयमुत्तरंगम्मि // 662 // वारत्तयस्स पुत्तो पडिमं कासीय चेइए रम्मे / तत्थ य थली अहेसी साहम्मिय चेइयं तं तु // 663 // गंडी कच्छ वि मुट्ठी संपुडफलए तहा छिवाडी य / एयं पोत्थयपणगं वक्खाणमिणं भवे तस्स // 664 // बाहल्लपुहुत्तेहिं गंडीपोत्थो उ तुल्लगो दीहो। . कच्छ वि अंते तणुओ मज्झे पिहुलो मुणेयव्वो // 665 // चउरंगुलदीहो वा वट्टागिइ मुट्ठिपुत्थगो अहवा / चउरंगुलदीहो च्चिय चउरंसो होई विन्नेओ // 666 // પ૬