________________ अइसंकिलिट्ठकम्माणुवेयणे होइ निद्द थीणद्धी / दिणचिंतियत्थवावारसाहगा अइमहाघोरा . // 826 / / एयमिह दरिसणावरणमेयमावरइ दरिसणं जीवो। , सायमसायं च दुहा वेयणीयं सुहदुहनिमित्तं // 827 // कोहो माणो माया लोभोऽणंताणुबंधिणो चउरो। एवमपच्चक्खाणा पच्चक्खाणा य संजलणा .. // 828 // सोलस इमे कसाया म्मि एसो नव नोकसायसंदोहो। इत्थिपुरिसनपुंसगरूवं वेदत्तयं तम्मि // 829 / १हास ररई ३अरई ४भय ५सोग ६दुगुंछ त्ति हासछक्कमिमं / दरिसणतिगं तु मिच्छत्त१ मीस२ सम्मत्तमिय३ जोए // 830 / इइ मोह अट्ठवीसा नारयनरतिरियसुराउयचउक्कं / .. गोयं नीयं१ उच्चं च२ अंतराईय पंचविहं .. // 831 / दाउं न लहइ लाहो न होइ पावइ न भोगपरिभोगे। निरुओवि असत्तो होइ अंतरायप्पभावेण // 832 / नामे बायालीसा भेयाणं अहव होइ सत्तट्ठी / अहवा वि हु तेणवइ तिग अहियसयं हवइ अहवा // 833 / पढमा बायालीसा गइजाइसरीरअंगुवंगे य / बंधणसंघायणसंघयणसंठाणभामं च // 8343 तह वन्नगंधरसफासनामा अगुरुलहुयं च बोद्धव्वं / उवघायपराघायाऽणुपुब्विऊसासनामं च // 835 / आयावुज्जोयविहगगई य तसथावराभिहाणं च। बायरसुहुमं पज्जत्तापज्जत्तं च नायव्वं // 836 / पत्तेयं तस थावर थिरमथिर सुभासुभं च नायव्वं / सूभगदूभग नामं सूसर तह दूसरं चेव // 837 / 26