________________ मध्यममध्यमा 5 पंचभिदँडैः प्रणिधानरहितैर्मध्यमोत्तमा 6 तैरे प्रणिधानसहितैरुत्तमजघन्या 7 तस्या नवम्याश्चांतराले उत्तममध्यमा पंचभिः शक्रस्तवैः प्रदक्षिणादानसहितैरुत्तमोत्तमा चैत्यवंदना 9 // दुन्नेरगं दुन्निर दुगं३ पंचेव५ कमेण होंति अहिगारा / सकत्थयाइसु इहं थोयव्वविसेसविसया उ // 676 // पढमं नमुत्थुर जेअअइयसिद्ध२ अरिहंत चेइयाणं ति३ / लोगस्स४ सव्वलोए५ पुक्खरद तमतिमिर७ सिद्धाणं८ // 677 / / जो देवाण वि९ उजिंतसेल१० चत्तारि अट्ठदस दो य११ / वेयावच्चगराण य१२ अहिगारुलिंगणपयाइं // 678 // पढमे१ छ8६ नवमे९ दसमे१० इक्कारसे य११ भावजिणे / तइयम्मि३ पंचमम्मि य५ ठवणजिणे सत्तमे नाणं / // 679 // अट्ठम८ बीयर चउत्थेसु४ सिद्धदव्वारिहंतनामजिणा / वेयावच्चगरसुरे सरेमि बारसम अहिगारे अद्वैव सुए भणिया चउरो य हवंति इत्थमाइण्णा / बीओ दसमो इक्कारसो अ बारसयमाइन्ना // 681 // जिणनामा नामजिणा केवलितित्थेसरा उ भावजिणा। ठवणजिणा पडिमाओ दव्वजिणा भाविभूयजिणा // 682 / / सत्त व पंच व तिन्नि य चिइवंदण साहु सावयाणं च। तिपयाहिण जिणभवणे भणिया ववहारचूलाए // 683 // पडिक्कमणे१ चेइयहरेर भोयणसमयम्मि३ तहय संवरणे४ / पडिक्कमण५ सुयण६ पडिबोहकालियं७ सत्तहा जइणो // 684 // पडिकमओ गिहिणो वि हु सत्तविहं पंचहा उ इयरस्स। होइ जहन्नेण पुणो तीसु वि संझासु इय तिविहं // 685 // // 680 // 283