________________ // 642 // // 643 // . // 644 // // 645 // // 646 // // 647 // सो पुण इह विनेओ संझाओ तिन्नि ताव ओहेणं / वित्तिकिरियाऽविरुद्धो अहवा जो जस्स जावइओ वरगंधधूवचुक्खऽक्खएहि कुसुमेहिं पवरदीवहिं। .. नेवेज्जफलजलेहि य जिणपूया अट्ठहा भणिया . चेइयदव्वं साहा-रणं च भक्खे विमूढमणसा वि। परिभमइ तिरियजोणीसु अण्णाणत्तं सया लहइ अक्खयफलबलिवत्थाइसंतियं जं पुणो दविणजातं / तं निम्मल्लं वुच्चइ जिणगिहकम्मम्मि उवओगो साहारणं च तइयं संघकए तस्स होइ उवओगो। गेलनुवद्दवाईसु उवजुज्जइ संजयाईणं चेइयदव्वं साहारणं च जो दुहइ मोहियमईओ। धम्मं सो न वियाणइ अहवा बद्धाउओ नरए चेइयदव्वविणासे तद्दव्वविणासणे दुविहभेए / साहू उविक्खमाणो अणंतसंसारिओ होइ. भक्खेइ जो उवेक्खेइ जिणदव्वं तु सावओ। पन्नाहीणो भवे जो य लिप्पई पावकम्मुणा आयाणं जो भंजइ पडिवनधणं न देइ देवस्स / नस्संतं समुविक्खइ सो वि हु परिभमइ संसारे चोएइ चेइयाणं खित्तहिरनाइं गामगोवाइ / लग्गंतस्स य जइणो तिगरणसुद्धी कहनु भवे? भन्नइ इत्थ विभासा जो एयाई सयं विमग्गिज्जा। न हु तस्स होइ सुद्धी अह कोइ हरिज्ज एयाई सव्वत्थामेण तहिं संघेण वि होइ लग्गियव्वंति। सचरित्तऽचरित्तीण य एयं सव्वेसिं कज्जंति 280 // 648 // // 649 // // 650 // // 651 // // 652 // // 653 //